"मेघनाद युद्ध में जाने का निर्णय लेता है। उसकी माता मन्दोदरी अपनी पुत्रवधू सुलोचना के पास जाकर अपने मन का डर कहती है। किन्तु सुलोचना स्थिर भाव से कहती है कि उसका पति कोई पहली बार युद्ध में नहीं जा रहा है। मेघनाद कवच धारण करता है और कुलदेवी निकुम्भला की तांत्रिक साधना करके कई दिव्यास्त्र अर्जित करता है। देवी निकुम्भला माँ भवानी का ही एक रूप हैं। सुलोचना अपने पति को विजय तिलक लगाकर युद्ध के लिये भेजती है। विभीषण राम व लक्ष्मण को बताते हैं कि आज रावण ने अपना सबसे अनमोल रत्न युद्ध के दाँव पर लगाया है। मेघनाद विलक्षण प्रतिभाएं लेकर जन्मा था। उसने पैदा होते ही मेघ की तरह गर्जन किया था इसलिये रावण ने उसका नाम मेघनाद रखा था। किशोरावस्था में पहुँचने तक मेघनाद ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की सहायता से तान्त्रिक अनुष्ठान करके देवी निकुम्भला को प्रसन्न कर लिया था। देवी ने उसे इच्छानुसार चलने वाला दिव्य रथ, तामसी माया, अक्षय तरकस और अजेय धनुष प्रदान किये। इन्द्र को जीतने के कारण भगवान ब्रह्मा ने उसे इन्द्रजीत का अलंकरण दिया था। युद्धभूमि में मेघनाद के सामने पहले सुग्रीव आते हैं लेकिन बहुत देर टिक नहीं पाते। बाद में यही हाल अंगद का होता है। इसके बाद मेघनाद की ललकार सुन लक्ष्मण आते हैं। दोनों के बीच कांटे का संघर्ष होता है। मेघनाद के कुछ प्रहारों को हनुमान लक्ष्मण तक पहुँचने से पहले ढाल बनकर रोक देते हैं। मेघनाद के बाण वानर सेना को बड़ी क्षति पहुँचाते हैं। फिर लक्ष्मण अपने भाई का स्मरण करके मेघनाद के कई दिव्यास्त्र निष्फल करते हैं। विभीषण राम से रण में हस्तक्षेप करने को कहते हैं क्योंकि सूर्यास्त के बाद मेघनाद अपनी तामसी शक्तियों का प्रयोग करके अदृश्य युद्ध कर सकता है। विभीषण का अनुमान सच साबित होता है। राम को आता देखकर मेघनाद अपना इच्छाशँक्ति वाला दिव्य रथ आकाश में ले जाता है और वहाँ अदृश्य होकर नागपाश चलाता है। नागपाश के प्रहार से राम लक्ष्मण मूर्च्छित हो जाते हैं और नाग उनके शरीरों को बाँध लेते हैं। राक्षस सेना विजयोत्सव मनाती दुर्ग में वापस लौटती है। वानर सेना में हताशा है किन्तु अचानक हनुमान की आँखें किसी उपाय का विचार कर चमक उठती हैं।
रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।
इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।
निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार
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