क्या भारत सुपरपावर बनने की दहलीज पर खड़ा है? आबादी के मामले में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है और अब यह दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है. देश की औसत उम्र 28 साल है. तो आज के भारत में यह पीढ़ी क्या ख्वाब देखती है और आगे बढ़ने के इसके पास कौन से मौके हैं?
भारत की औसत उम्र 28 साल से कुछ ही ज्यादा है. दूसरे देशों की तुलना में यह बहुत युवा उम्र है. खासकर पश्चिम के औद्योगिक देशों की तुलना में. तो 28 साल के जो युवा 2024 के भारत में रह रहे हैं, वे अपने देश को कैसा पा रहे हैं?
एक देश, जिसे अक्सर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का तमगा दिया जाता है. लेकिन वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व हिंदू राष्ट्रवाद का उभार हो रहा है. इसकी गाज मुसलमानों पर गिरती है, जो कभी-कभी हिंसक भी हो जाती है. एक देश, जिसकी 2023 में आर्थिक वृद्धि चीन से ज्यादा रही. एक ऐसा राष्ट्र, जो आर्थिक और राजनीतिक, दोनों रूप से दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ियों में से एक बनने की योजना बना रहा है.
विरोधाभासों का एक राष्ट्र. जहां एक ओर स्टार्टअप्स की कतारें हैं, जो दुनिया बदलने वाले बिजनेस आइडिया ला रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अनुमान है कि हर पांच में से एक भारतीय न तो पढ़ सकता है और न लिख सकता है. दुनिया में ऐसे उदाहरण कम ही हैं. जहां अमीरों और गरीबों के बीच खाई इतनी चौड़ी हो. जहां भूख और वैभव साथ-साथ दिखाई देते हैं. साथ ही, सदियों से चली आ रही जाति व्यवस्था भी है, जिसे समाज में वैधानिकता भी मिली हुई है और जो आगे बढ़ने के मौके मिलने में भी भूमिका निभाती है.
इस फिल्म का कैमरा 28 साल के कुछ भारतीय युवाओं के रोजमर्रा के जीवन में उनके साथ रहता है. इनमें से कुछ ग्रामीण इलाकों में गरीबी में रहते हैं. कुछ शहरों में अलग-अलग स्टार्टअप में काम करते हैं. इनमें कुछ दलित जाति से हैं, जिन्हें अछूत माना जाता रहा है. ये आज भी भारतीय समाज में हाशिए पर हैं और इन्हें अक्सर सिर्फ वही काम करने पड़ते हैं, जिन्हें और कोई करना नहीं चाहता है.
यह फिल्म एक हिंदू और एक मुसलमान की जिंदगी दिखाती है. एक अनपढ़ महिला, जो अपने भविष्य और अपने बच्चों के लिए संघर्ष कर रही है. एक कारोबारी है, जिसका जीवन विलासिता से लबरेज है. इनके क्या सपने हैं और क्या इन्हें सपने देखने से रोकता है? तो जब भारत एक नई सुपरपावर बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो क्या यह अपने सभी नागरिकों का हाथ पकड़कर उन्हें भी साथ ले पाएगा?
4 जून को भारत में लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. क्या नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी सत्ता में बनी रहेगी?
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