सत्संग १५ : संस्कार, ब्रह्मज्ञान, द्वैत, तत्व, नाद, शरीर, सत्य, मिथ्या, निर्जीव, अज्ञान
सत्संग अवसर है सभी साधकों के लिए जहाँ आप स्वयं के आध्यात्मिक यात्रा और ज्ञानमार्ग से संबंधित प्रश्नों को पूछ सकते हैं।
१ ) सत्संग हर शनिवार रात ९-१० (भारतीय मानक समय) बजे होता है। आप टेलीग्राम एप पर @bodhivarta समूह से जुड़ सकते हैं सत्संग यहीं से संचालित होता है।
२) त्रिज्ञान के लिए आप यहाँ अपना नाम यहाँ पंजीकृत करवा सकते हैं https://gyanmarg.guru/3d/ या मुझे सीधे संदेश भेज सकते है टेलीग्राम पर @Turiyateet
आज के सत्संग में निम्न प्रश्नों पर चर्चा की गयी है।
१) क्या ज्ञान के प्रभाव से स्वभाव परिवर्तित हो सकता है। क्या मनुष्य चित्त में अच्छे संस्कार डाले जा सकते है।
२) कितना अज्ञान हटने पर ब्रह्मज्ञान होता है।
३) अनुभवकर्ता और अनुभव अगर एक हैं तो दो क्यों दीखते हैं।
४) तत्व क्या होता है।
५) नाद का स्रोत क्या है।
६) क्या अनुभवकर्ता को जानने के लिए शरीर की जरूरत है।
७) अनुभवकर्ता को सत्य क्यों कहते हैं।
८) चित्त स्वयं मिथ्या है फिर इससे ज्ञान कैसे मिल सकता है।
९) अनुभवकर्ता सर्वत्र है फिर निर्जीव वस्तुओं में भी है कैसे जान सकते हैं।
१०) ज्ञान तो मुझे समझ आता है पर अज्ञान क्या होता है।
@bodhivarta
@pure_exp
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