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हिम सागर नाम का ट्रेन का बेहद की क्लैरिफिकेशन बाबा से सुनिए। Discussion 928 #avyaktamurtina

Avyaktamurtina 955 5 days ago
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हिम सागर नाम का एक ट्रेन है। हिमालय से आती हैं, सीधी नागपुर से कन्याकुमारी जाती हैं। एक ऐसी ट्रेन है हिम सागर। जैसे नाम रखा गया कन्या कुमारी काश्मीर से आने वाली एक्सप्रेस। कश्मीर को भी मिला रही हैं और कन्या कुमारी को भी मिलाया तो केके एक्सप्रेस नाम रख दिया। हिमालय से आती हैं। आती तो ऊंचे प्रदेश से हैं। लेकिन बीच नगाओं का पर पड़ता हैं। वैसे ही भारत माता है ना? भारत माता का कनेक्शन नाग देवताओं से नहीं है क्या? वो भी तो है। नाग पर की तो स्थायित्व है, स्थिरता हैं, नागपुर शहर, भारत के मध्य भाग में दिखाया गया हैं। नाम रख दिया नाग पर। कौनसा पर? नाग पुर। माना भले हिमसागर से आती हैं वो एक्सप्रेस। एक्सप्रेस माने संकल्पों की ट्रेन। बेहद में क्या अर्थ हुआ? ऐसे संकल्पों की ट्रेन, जो आती हैं हम सागर से। हिम माने बर्फ। और सागर माने सागर। तो हम सागर कौनसा हुआ? वो कौनसा सागर है जो हिमालय पर्वत पर पहाड़ का पानी, पहाड़ का जो बर्फ हैं, डिस्टल वाटर बनकर के वहां इक्कठा होता हैं। मान सरोवर। वहां से वो संकल्पों की ट्रेन चली तो शुद्ध है। शुद्ध संकल्पों की ट्रेन आती हैं। माना सतयुग त्रेता तक कैसा संकल्प रहते हैं? शुद्ध संकल्प चलते हैं। फिर कहां से गुजरती हैं? नागपुर से। तो नागपुर से जब गुजरेगी, तो वो नाग लोग वालों के सबसे ज्यादा विषैला पानी कौनसा होता हैं? नाग होता हैं। तो जो विषैला प्राणी से होकर के वो संकल्पों की ट्रेन गुजरती हैं, तो संकल्प कैसे हो जाते हैं? अशुद्ध संकल्प हो जाते हैं। यह हो गया द्वापरयुग की शुरुआत। इसीलिए बाबा ने बोला है, उत्तर भारत है स्वदेश। नागपुर के ऊपर का हिस्सा। मध्य भारत में है ना नागपुर? और नागपुर के दक्षिण के जो देश हैं, भारत देश। वो है भारत का विदेश। तो व्यभिचारी संकल्पों विदेशों में ज्यादा चलता हैं। तो नागपुर से जब वो हिम सागर ट्रेन गुजरती हैं, तो गंदे गंदे संकल्प चलेंगी। क्या? कहा तक पहुंचेंगी? वो ट्रेन गंदे संकल्पों वाली चलते चलते कन्या कुमारी तक पहुंचे। तब जाकर के सागर के नजदीक पहुंचेगी। तो सागर में संकल्पों का विलय हो जावेगा। तो कन्या कुमारी तक पहुंचना अच्छी बात हुई या खराब बात हुई? ब्राह्मणों की दुनियां में भी यह हिमसागर एक्सप्रेस चल रही होगी। पहले ज्ञान सतो प्रदान, सतो सामान्य था। और अब तमो प्रदान होता जाता हैं। जैसे जैसे नागों को धारण करने वाला कौन है? शंकर की। उसके पार्ट लोगो के बीच में क्लियर होता जाता हैं। क्लियर हो रहा हैं या मति भ्रम पैदा हो रहा हैं? क्लियर हो रहा हैं तो निश्चय बुद्धि बनना चाहिए। और मती भ्रम पैदा हो रहा हैं तो अनिश्चय बुद्धि होना चाहिए। तो क्या हो रहे है अभी? अनिश्चय बुद्धि हो रहे हैं? कभी बाप के ऊपर निश्चय बैठता है और कभी विपरीत संकल्प चलते हैं। तो जैसे जैसे वो संकल्पों की ट्रेन आगे बढ़ती जाती हैं। वैसे वैसे नागपुर से होती हुई वो ट्रेन जब आगे बढ़ती हैं तो विदेशिया की तरफ बढ़ती है। आखरीन में ऐसा प्रदेश में पहुंचती हैं, जो हिंदी का नाम लेना भी पसंद नहीं करता। हिंदुस्तान और हिंदी के नाम से ही नफरत। सभी प्रदेश में हिन्दी पढ़ाई जाती हैं। और वहां प्राइमरी स्कूल में भी हिंदी नहीं पढ़ाएंगे। हिंदी का कोई प्रचार प्रसार नहीं। इतनी नफरत भरी हुई हैं। नाम क्या हैं प्रदेश का? तमिलनाड। तुम हमसे नहीं मिलते, तो हम तुमसे नहीं मिलते। तुम हमको प्यार करोगे तो हम तुमसे प्यार करेंगे। अगर तुम भगवान से प्यार करोगे, भगवान से सच्चा प्यार करोगे, अरे! भगवान इस सृष्टि पर आया हुआ हैं कि नहीं? आया हुआ है। तो अगर तुम भगवान से सच्चा प्यार करोगे, एक भगवान दूसरा न कोई, और मेरे से नहीं करोगे तो हम तुमसे नहीं मिलते। हम तुमसे बात भी नहीं करेंगे। बात करने के लिए भाषा चाहिए। हमें तुम्हारी भाषा भी नहीं चाहिए। एकदम विरोधी। ऐसे स्टेट से वो संकल्पों की ट्रेन गुजरती हैं। उसका नाम क्या रखा हैं? हिम सागर का एक्सप्रेस। तो फिर अंजाम क्या होगा? अगर ऐसा ही चलता रहा तो अंजाम बुरा होगा। तो क्या करना पड़े? विजयमाला का आहवान करो। जो ट्रेन विजयमाला की नजदीक पहुंच जाए। क्या? कन्या रखे नजदीक पहुंचेगी तो सारी की सारी ट्रेन शुद्ध संकल्पों वाली बन जाएगी। और सागर से मेल हो जावेगा। सागर में कितना भी कचड़ा वाला संकल्प हो, कितने भी कचड़े वाली नदी क्यों न हो, और ढेर के ढेर नदियां क्यों न हो जो कचड़ा बहाने वाली है, वो सागर में गिरती हैं, तो जल शुद्ध जल हो जाता हैं। वार्ता:928 (47 min) #avyaktamurtina #shivbaba #aivv #pbks #spiritual #avyaktmurli #spirituality #selectedpoints

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