इस संक्षिप्त वीडियो में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने एक ही परतत्त्व के तीन स्वरूपों का वर्णन किया है।पहला स्वरूप ब्रह्म कहलाता है जो निर्गुण निर्विशेष निराकार होता है। दूसरा स्वरूप परमात्मा कहलाता है जो सगुण सविशेष साकार है । और तीसरा स्वरूप भगवान कहलाता है जिसमें नाम रूप गुण धाम के साथ ही उनके परिकर भी होते हैं व लीलायें भी होती हैं। पानी, बर्फ, व भाप की भाँति ही एक तत्त्व होते हुए भी परतत्त्व के इन तीनों स्वरूपों के विशेष लक्षण होने से इनमें भेद भी है।____________________________________________________________________
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