आशुतोष राणा की किताब रामराज्य, समय काल और परिस्थिति के लिहाज़ से बेहद मौजूं किताब है। इसमें कल्पना भी है और आध्यात्म भी। इसमें रामराज्य के चरित्रों का एक तरह से साक्षात्कार है, जो आपके सामने रील की तरह उपस्थित होते हैं।