प्रेम, त्याग और भक्ति की पराकाष्ठा : राधा-कृष्ण का दिव्य रहस्य | Premanand ji maharaj
आकर्षक विवरण:
अनंत प्रेम का सबसे ऊँचा स्वरूप श्री राधा किशोरी जी के चरणों की आराधना में प्रकट होता है। जहाँ भी यह प्रेम प्रकट होगा, त्याग का पहला स्तर वहीं से प्रारंभ होता है—यह त्याग अहंकार से मुक्त होता है, अत्यंत सूक्ष्म और दिव्य। जब प्रेम में अहंकार का त्याग हो जाता है, तभी यह प्रेम सच्चा साधन बनता है।
संसार इस प्रेम रहस्य को नहीं जानता, परंतु जब स्वयं श्री कृष्ण कृपा करते हैं, तब वे गोपियों के प्रेम की महिमा से परिचय कराते हैं। ब्रज की लीला में जब सर्वोच्च प्रेम प्रकट होता है, तब उसमें सर्वस्व समर्पण और अहंकार का भी पूर्ण विसर्जन होता है। श्री कृष्ण प्रेम की चरम सीमा को "राधा" कहते हैं—परम प्रिय श्री राधा की महिमा का स्वयं भगवान श्री कृष्ण गान करते हैं।
जो प्रेम स्वरूपा श्री राधा का नाम लेता है, उसकी समस्त विघ्न-बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। जब कोई "राधा" उच्चारित करता है, तो स्वयं श्री कृष्ण प्रेम की सर्वोत्तम भक्ति प्रदान करते हैं। राधा नाम का जाप कर्म बंधनों को नष्ट कर देता है और भक्त को श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबा देता है।
श्री राधा, श्रीकृष्ण की परमानंदिनी शक्ति हैं, जिनकी महिमा और सौंदर्य का वर्णन स्वयं भगवान शिव तक करते हैं। वे अनंत लावण्य और माधुर्य की खान हैं। राधा-कृष्ण प्रेम का यह दिव्य रहस्य अद्वितीय और अलौकिक है, जो प्रत्येक हृदय को प्रेममय कर देता है।
🌸 राधा नाम का स्मरण करें और अपने जीवन को प्रेम और भक्ति से सराबोर करें! 🌸
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