महिना अक्तूबर का था, खरीफ की फसले पक चुकी थी, और पकी हुई फसलो को कई प्रकार के जंगली जीव जैसे हिरण एवं नीलगाय आदि नुकसान पहुचाते है, इसीलिए गावं वाले अपने खेतो में एक उंचा आशियाना बनाते है, जिसे मचान कहा जाता है, इस मचान पर बैठ कर रात्री के समय गावं वाले, जंगली पशुओ से खेतो की रक्षा किया करते है, मचान दस से बारह फीट उंचा होता है, और इस पर किसानो को तेन्दुओ और सांप जैसी जीवो से भी काफी सुरक्षा मिल जाती है, मंडला जिले के उस गावं में भी अक्टूबर महीने की हल्की ठंड मध्य में, एक रोज एक पिता और पुत्र ऐसे ही मचान पर बैठे हुए अपने खेतो की निगरानी कर रहे थे, तभी उन्हें अपने खेतो में किसी बड़े जानवर की आहट को सूना, पिता सो रहे थे, इसीलिए पुत्र ने अकेले ही मचान पर बैठे बैठे थोड़ा शोर मचाया ताकि वो जानवर खेतो से निकल जाए, लेकिन आवाज को सुनकर वो जानवर तेजी से इस पिता पुत्र के मचान की और दौड़ा,