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प्रेम विवाह#मन चाही वर या वधु प्राप्त करे इस गंधर्व मंत्र प्रयोग से#जयमहाकालीज्योतिषकेंद्र

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ज्योतिष एवं तंत्र साधक नरेन्द्र अहिर जय महाकाली ज्योतिष एवं तंत्र निवारण केंद्र 8839111455 #गंधर्वमंत्र_विवाहप्रयोग!! यह साधना अत्यंत प्रमाणिक और सिद्ध साधना है।कन्या को वर प्राप्ति में या वर को कन्या प्राप्ति में यह रामबाण है। प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से प्रेम करते हैं। किन्तु उनकी शादी में उनके परिवार वाले नही मान रहे है,तब यह साधना अवश्य संपन्न करें। यह साधना किसी भी पूर्णिमा से शुरू करें, लालवस्त्र धारण करें,सिंदूर का तिलक लगायें,लाल चन्दन की माला से जप करें,लाल आसन, मुख उत्तर दिशा की ओर,बन्द आँखों से 10 माला मन्त्र जप करें, मन्त्र जप रात्रि 9बजे से शुरू करें। अपने सामने कांसे की थाली में भगवान शिव का फ़ोटो अथवा गन्धर्व देव का फ़ोटो लगाये,देशी घी का दीपक धूप, लाल गुलाब के फूल,मौसमी फल, दूध की बनी मिठाई रखें। अब साधक या साधिका जो भी साधना कर रहा है,विवाह के लिए,अपने सामने ताँबे के कलश से जल लेकर दाहिने हाथ में शरीर पवित्रीकरण करें,सामग्री पवित्री करण करें।,नेऋत्य दिशा में वास्तु दोष पूजन करें,1 माला गुरु मंत्र या शिव पूजन,गणेश पूजन करें। सुरक्षा मन्त्र करके संकल्प ले,गंधर्व देव पूजन करें,दोनों हाथ जोड़कर ध्यान मन्त्र बोले,फिर 10 माला मूल मन्त्र जप करे।जप के बाद सो जाय और सुबह को फल,मिठाई फूल मंदिर या पीपल या बहते दरिया में रख दे,लौटे का जल पीपल या तुलसी पर चढ़ा दे।रोज ऐसे ही कार्य करना है। 11 वे दिन उत्तर दिशा में आम की लकड़ी से 1 हजार आहुति गुगुल, विल्बपत्र,घी से हवन करें। इसके बाद उसी दिन 100 मन्त्रों से तर्पण करे इसमें एक थाली में 1 लीटर कच्चे दूध को डालकर उसमे थोड़ी चीनी,जल,दुर्बा घास,शहद डालें, दोनों हाथो से थाली में से दूध को अंजुली में भर कर अपने मुँह तक ऊपर उठाये और मन्त्र बोले,इसमें मन्त्र के अंतिम शब्द में स्वाहा की जगह तर्पयामि कहें और दूध भरी अंजुली थाली में गिरा दे पुनः ऐसी ही क्रिया करें। अब मार्जन के लिए दुर्बा घास लें और दूध मिश्रित जल में डुबोकर दाहिने हाथ से अपने सिर पर छिड़के और उसके बाद पुरे शरीर पर,यह क्रिया 10 बार करे और तर्पयामि की जगह मार्जयामी कहे। इसके बाद एक ब्राह्मण को भोजन वस्त्र,दक्षिणा दे ।मन्त्र सिद्धि पाठ पूर्ण होकर देव कृपा से विवाह पूर्ण होगा। गंधर्वराज ध्यानमन्त्र : “कन्यावृक्ष समा सीन उद्यदा दित्य संनिभम। अंकस्थ कन्या गंधर्व विश्वा व सुप्रभुम् स्मरेत्।” मन्त्र :ॐ क्लीम् विश्वावसु गंधर्व कन्यानामधिपति। सुवर्णा सालंकारा कन्यां देहि मे देव॥ इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजुली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र का जप करने से अलंकारों से सुसज्जित शीघ्र ही श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। यदि किसी अविवाहित जातक को विवाह होने में बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजुली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करें और मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करें। ध्यान रहे कि इसे गुप्त रखें। अपने परिजनों के अतिरिक्त किसी को भी इस बात का आभास न होने पाए कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाए। ऐसा करने से जल्दी ही सुंदर, सुशील और सुयोग्य कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है। ~~~`````~~~````~~~````~~~```~~~~ गंधर्व मंत्र प्रयोग

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