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श्री कालिका सहस्रनाम स्तोत्रम्

Kali Durga Tantra Sadhana 55 lượt xem 1 week ago
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श्री कालिका सहस्रनाम स्तोत्रम्


शाक्ततंत्र सर्वसिद्धिप्रद है जिसमे करकादी स्तोत्र और कालिका सहस्त्रनाम का उल्लेख तीक्ष्ण प्रभावशाली बताया गया है।कालिका सहस्रनाम अर्थात काली सहस्त्रनाम का पाठ करने की अनेक गुप्त विधियाँ हैं, जो विभिन्न कामनाओं के अनुसार पृथक पृथक हैं और गुरु-परम्परा प्राप्त हैं । इस चमत्कारी एवं स्वयंसिद्ध कालीका सहस्त्रनाम का पाठ सिर्फ रात्रि मे ही करना अनुकुल माना जाता है। क्युके रात्रि मे महाविद्याओ कि समस्त शक्तियाँ जाग्रत होती है और उन्हे साधक प्रसन्न करके मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकता है। यहा एक गोपनीय विधान दे रहा हू,जो आसान है और फलदायी है। सर्वप्रथम लाल रंग के कपडे पर महाकाली जी का चित्र स्थापित करें। साधक स्वयं लाल वस्त्र धारण करे और लाल आसन का ही प्रयोग करे । हाथ मे किसी भी प्रकार का लाल पुष्प लेकर अपना कामना बोलकर पुष्प को मातारानी के चरणों मे समर्पित करें। रुद्राक्ष माला से “क्रीं कालिके स्वाहा” मंत्र का एक माला जाप सहस्त्रनाम पाठ से पुर्व और अंत मे करे तो शीघ्र सफलता प्राप्त होता है। जब भी यह साधना करना हो तो मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करें। दक्षिण दिशा मे मुख करके पढ़ने से समस्त प्रकार के लाभ प्राप्त होते है,पश्चिम दिशा मे मुख करके पढ़ने से दारिद्रता नष्‍ट हो जाती है,पुर्व दिशा मे मुख करके पढ़ने से वाचन सिद्धि प्राप्त होती है और उत्तर दिशा मे मुख करके पढ़ने से मातारानी के दर्शन करना सम्भव है



इसके बाद भूमि पर जल छोडकर, छोड़े हुये जल को तीन बार अपने हाथ से स्पर्श करके तीन बार अपने सर से लगा लें।
काली सहस्त्रनाम का जप करने से सभी दुष्ट ग्रहों का स्तंभन होकर कुप्रभाव नष्ट हो जाता है। सभी प्रकार के भूत,प्रेत, आत्मा, चांडाल, पिशाच, काला जादू का प्रभाव नष्ट हो जाता है। सभी कामनाओं की सिद्धि होती है एवं सभी शत्रु स्वतः ही परास्त हो जाते हैं।



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