What is Death
What after Death
life after death
मृत्यु के बाद का सच
| जो कोई भी कृष्णभावनामृत में अपना शरीर छोड़ता है, वह तुरन्त परमेश्र्वर के दिव्य स्वभाव (मद्भाव) को प्राप्त होता है | परमेश्र्वर शुद्धातिशुद्ध है, अतः जो व्यक्ति कृष्णभावनाभावित होता है, वह भी शुद्धातिशुद्ध होता है | स्मरन् शब्द महत्त्वपूर्ण है | श्रीकृष्ण का स्मरण उस अशुद्ध जीव से नहीं हो सकता जिसने भक्ति में रहकर कृष्णभावनामृत का अभ्यास नहीं किया | अतः मनुष्य को चाहिए कि जीवन के प्रारम्भ से ही कृष्णभावनामृत का अभ्यास करे | यदि जीवन के अन्त में सफलता वांछनीय है तो कृष्ण का स्मरण अनिवार्य है | अतः मनुष्य को निरन्तर हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे – इस महामन्त्र का जप करना चाहिए | भगवान चैतन्य ने उपदेश दिया है कि मनुष्य को वृक्ष के समान सहिष्णु होना चाहिए (तरोरिवसहिष्णुना) | हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे – का जप करने वाले व्यक्ति को अनेक व्यवधानों का सामना करना पड़ सकता है | तो भी इस महामन्त्र का जप करते रहना चाहिए, जिससे जीवन के अन्त समय कृष्णभावनामृत का पूरा-पूरा लाभ प्राप्त हो सके |
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