वरिष्ठ बिरहा गायक काशीनाथ उर्फ काशी पासी ने अपनी जीवन यात्रा साझा करते हुए बताया कि जब वे मात्र 10 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। इस कठिनाई ने उनके जीवन में कई संघर्षों की शुरुआत की, लेकिन काशी ने हार नहीं मानी। उन्होंने मेहनत और संघर्ष के साथ अपने परिवार का भरण-पोषण किया। कपड़ा सिलाई, आर्मेचर और कारखाना में बॉल बेयरिंग बनाने का काम करते हुए, उन्होंने गुरु जी द्वारा दिए गए बिरहा को हमेशा अपने दिल में संजोकर रखा। उनकी यात्रा न केवल उनकी कला की गहराई को दर्शाती है, बल्कि कठिनाइयों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। लंबे समय से संपर्क न होने के कारण उनके प्रशंसक चिंतित थे कि वह कहाँ हैं और किस हाल में हैं? उन सभी को सूचित करना चाहेंगे कि काशीनाथ जी स्वस्थ हैं और याददाश्त मजबूत है। वह बातचीत कर रहे हैं।
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कैमरा मैन- श्याम सुंदर पासवान
एडिटर- रामबिलास यादव, राहुल यादव