हे ! विष्णु तू मेरे प्रकोप से नहीं बच सकता I
Vishnu Avtar I
Vishnu Avtar I
यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है।
यह इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं।
इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।
भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है।
इस पुराण के अध्ययन से हमें धार्मिक विविधताओं, आध्यात्मिकता और ब्रह्मा-विष्णु-शिव के एकात्मता की समझ को गहरा करने में सहायता मिलती है।
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