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ब्याव आगऔ ललन कौ (अब ढोलकके साथ/ जोरदार हास्य गीत) By brajesh Acharya ji

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ब्याव आगऔ ललन कौ नेंवतौ सबई जनन खों मड़ुवा है लागत जेठै चौथ कौ चौक पूरकें रातै पंडिज्जी नें चून सें बांद दऔ बंधन में मोखौ पीरी ऊन सें जानै मोखौं हनीमून पै पैली जून सें आगऔ फोन बड़े फूपा कौ दैरादून सें परी है मोय अबेरा कबै आहै बा बेरा रैहैगौ मइना पूरौ मौज कौ बाई कैरईं छुट्टर करदो बर्फी रसगुल्ला जिज्जी कैरईं बालूसाई भर भर कें डल्ला दादा कैरये बफर करादो हो जाबै हल्ला देखकें जबबौ रैजाबै हलकज्जा कौ लल्ला करादो इडली डोसा करेला चाट समोसा फुलकी के संगै पानी सौंट कौ खाना होनें है अपनौ टेबिल स्टूल से होगई सब बिबस्ता सरकारी स्कूल सें हैंगे सब बुन्देली भज्जा अपने चूल सें दारू पीबे वारे न आजाबें भूल सें परौ आगऔतौ पीके, कछू है नैयां जीकें हरिया नन्ना कौ साड़ू मोंठ कौ दैदई रातै डेढ़ लाख की मिठया खों साई बई में कुर्सी टेन्ट भगौना बई में बिल्लाईं परौ चढ़ाऔ आठलाख कौ कत्तीं भौजाई पैरकें सौने कौ बिछुआ जम हैगी घरवाई भये पूरे सब सपने पराये होरये अपने सांसी कैगऔ तौ पंडित कोंच कौ रचनाकार संगीताचार्य बृजेश कुमार 8756675875

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