स्वास्तिक बनाने की सटीक विधि ।किस चीज से बनाये । कहाँ बनायें ।
स्वस्तिक के अनेकों फायदे हैं ।
स्वस्तिक अत्यंत प्राचीनकाल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में सर्वप्रथम स्वस्तिक का चिह्न अंकित करने का आदिकाल से ही नियम है। स्वस्तिक शब्द मूलभूत 'सु' और 'अस्' धातु से बना है। 'सु' का अर्थ है अच्छा, कल्याणकारी, मंगलमय । 'अस्' का अर्थ है- अस्तित्व, सत्ता। तो स्वस्तिक माने कल्याण की सत्ता, मांगल्य का अस्तित्व ।
स्वस्तिक शांति, समृद्धि एवं सौभाग्य का प्रतीक है। सनातन संस्कृति की परम्परा के अनुसार पूजन के अवसरों पर, दीपावली पर्व पर, बहीखाता पूजन में तथा विवाह, नवजात शिशु की छठी तथा अन्य शुभ प्रसंगों में व घर तथा मंदिरों के प्रवेशद्वार पर स्वस्तिक का चिह्न कुमकुम से बनाया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि 'हे प्रभु ! हमारा कार्य निर्विघ्न सफल हो और हमारे घर में जो अन्न, वस्त्र, वैभव आदि आयें वे पवित्र हों।'
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र ।संस्कृत व हिंदी अर्थ सहित । Gajendra Moksh Stotram | by @yogirajmanoj
https://youtu.be/KVtlOKbSw08
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