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रहस्य गणपति : राहु और केतु का :कब किसका उपाय करे : SECRET OF GANPATI JI -RAHU- KETU .AND REMEDIES
गणेश जी, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे प्रथम पूज्य देवता हैं, जिन्हें विधानसभा, शिक्षा, बुद्धि, संवाद और विज्ञान का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी को सुंदर चिढ़ाकर एक विशेष रूप दिया जाता है, जिसमें उनके एक मुख, चौड़े गठे, बड़े छोटे कान और हाथों में छोटी सी मूसल होती है।
गणेश जी की कथा और महत्वपूर्ण ग्रंथों में विस्तृत वर्णन है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने स्नेही सौंदर्य को देखते हुए मिटटी से बनाए गए पुत्र को जीवन प्राण दिए थे। उन्होंने उन्हें स्वयं के द्वारा सृष्टि का प्रमुख देवता बनाया था। गणेश जी को सबसे प्रिय और पूज्य देवता मानते हैं और उन्हें हर कार्य की शुरुआत में प्रार्थना का विषय बनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी उत्सव हर साल भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें गणेश जी की मूर्तियों को घरों में स्थापित किया जाता है
राहु और केतु हिन्दू धर्म में दो ग्रहों के नाम हैं जो नक्षत्रों और ग्रहों के चक्र में पाये जाते हैं. इन दोनों ग्रहों को राहु और केतु के रूप में भी जाना जाता है, जो राक्षसी शक्ति को प्रतिष्ठित करने वाले देवताओं के रूप में माने जाते हैं।
राहु और केतु का इतिहास माहिती काफी पुरानी है और पुराने पुराणों में इनके बारे में विस्तृत कथाएं दी गई हैं। राहु और केतु का उदय हिन्दू मिथकों में दैत्य कश्यप और दिति के पुत्रों के रूप में माना जाता है। इनके पिता के नाम कश्यप ऋषि थे और इनकी माता का नाम आदिति था।
विष्णु पुराण के अनुसार, राहु और केतु एक समय पहले देवताओं के साथ अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे। जब अमृत की प्राप्ति होने वाली थी, तो विष्णु भगवान ने मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृत बांट रही थी। राहु ने देवताओं की भक्ति करके अमृत पान करने की कोशिश की, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने इसे देख लिया..
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