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भारत की आजादी कैसी

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॥भारत की आजादी कैसी॥ नमस्ते जी! आजादी का दिन, 15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास में एक ऐसा पल है जिसे हर भारतीय गर्व के साथ याद करता है। लेकिन इस आजादी के पीछे छुपी कुछ सच्चाइयाँ भी हैं, जिन्हें जानना हर भारतवासी के लिए आवश्यक है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत उस दिन पूर्णतया स्वतंत्र नहीं हुआ था। स्वामी जी का मानना है कि भारत गुलाम हो गया था उस दिन जब सरदार वल्लभभाई पटेल, जो देश को एकता और दृढ़ संकल्प के साथ नेतृत्व दे सकते थे, ने महात्मा गांधी के कहने पर अपना नाम प्रधानमंत्री पद से वापस ले लिया। इसके स्थान पर जवाहरलाल नेहरू को यह जिम्मेदारी सौंपी गई, जो स्वामी जी के अनुसार उस समय के लिए उपयुक्त नहीं थे। सरदार पटेल की दूरदर्शिता और योगदान सरदार पटेल ने देश को 562 से अधिक रियासतों में विभाजित भारत को एक राष्ट्र के रूप में खड़ा किया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। लेकिन उनके हाथों से प्रधानमंत्री की कुर्सी छीनकर नेहरू को सौंपने का निर्णय न केवल गांधी जी की भूल थी, बल्कि यह भारत की वास्तविक आजादी को अधूरा बना देने वाला कदम भी था। क्या नेहरू इस भूमिका के लिए सक्षम थे? नेहरू की विदेश नीति, कश्मीर मुद्दे पर असमर्थता, और देश के भीतर औद्योगिकीकरण की अदूरदर्शिता ने भारत को ऐसे जटिल समस्याओं में डाल दिया, जिनका असर आज भी दिखाई देता है। अगर सरदार पटेल प्रधानमंत्री बनते, तो भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने में कम समय लगता। आजादी का सही अर्थ आजादी केवल सत्ता हस्तांतरण नहीं है, यह अपने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मूल्यों को संरक्षित रखते हुए आत्मनिर्भरता और एकता की ओर बढ़ने की प्रक्रिया है। अगर सही नेतृत्व चुना गया होता, तो भारत इस परिभाषा के और करीब होता। यदि आप ऐसी ऐतिहासिक और वैदिक दृष्टिकोण से प्रेरित विश्लेषण सुनना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल "VEDIC WISDOM UNLEASHED" को सब्सक्राइब करें। इस चैनल पर हम भारत की सांस्कृतिक धरोहर, वैदिक परंपराओं और आर्य समाज की शिक्षाओं को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करते हैं। रोजाना नई सामग्री पर वीडियो देखने के लिए हमारे साथ जुड़ें और भारतीय इतिहास को सही दृष्टिकोण से जानें। याद रखें, भारत को समझने के लिए भारत की आत्मा को समझना आवश्यक है।

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