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वीडियो जानकारी: 11.02.2025, ग्रेटर नॉएडा
Title : माथे तिलक हाथ जपमाला, जग ठगने को स्वांग बनाया || आचार्य प्रशांत, संत रविदास पर (2025)
0:00 - Intro
0:35 - संत रविदास: एक आध्यात्मिक क्रांतिकारी
2:38 - मनुष्य की पहचान क्या है?
7:29 - संत रविदास का जीवन परिचय
15:54 - संत रविदास की वाणी की सरलता और गहराई
20:07 - क्या व्यक्तियों की श्रेणी जन्म या जाति के आधार पर तय होती है?
22:15 - समापन
विवरण:
आचार्य प्रशांत इस वार्ता में संत रविदास की शिक्षाओं और आध्यात्मिकता के मर्म को स्पष्ट करते हैं। वे बताते हैं कि ब्राह्मण कुल या जाति से नहीं, बल्कि ब्रह्म और आत्मा के ज्ञान से होता है। चेतना ही मनुष्य की असली पहचान है, न कि समाज, संयोग, या अतीत। अहंकार व्यक्ति को द्वैत में उलझाए रखता है, जबकि आत्मज्ञान से संसार की एकता का अनुभव होता है।
संत रविदास ने अपने अद्वैत दृष्टिकोण से सामाजिक भेदभाव को अस्वीकार किया और उच्चतम आध्यात्मिक सत्य को सामाजिक चेतना से जोड़ा। वे भक्ति और विद्रोही तेवर दोनों को साथ रखते थे, उनके दोहे आध्यात्मिक और व्यवहारिक दोनों स्तरों पर गहरी समझ देते हैं। सच्चे प्रेम और आत्मविसर्जन को ही मोक्ष का मार्ग बताते हुए, वे बताते हैं कि अहंकार को त्यागे बिना आत्मा और ब्रह्म का मिलन संभव नहीं।
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संगीत: मिलिंद दाते
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