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चूका का नरभक्षी।। कैसे जिम कॉर्बेट ने शिकार किया इस आदमखोर का ? #CobettLore #JimCorbett

CorbettLore 63,586 lượt xem 2 years ago
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जिम कार्बेट:
जेम्स ए. जिम कार्बेट (25 जुलाई 1875 - 19 अप्रैल 1955) आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा संरक्षित वनों के आंदोलन का भी प्रारंभ किया। उन्होंने नैनीताल के पास कालाढूंगी में आवास बनाया था। यह स्थान आज भी यहां आने वाले प्रर्यटकों को उस व्यक्ति के जीवन का ज्ञान कराता है जो न केवल एक शिकारी था बल्कि एक संरक्षक, चमड़े का कार्य करने वाला, जंगली जानवरों का फ़ोटो खीचने वाला तथा बढ़ई था। इन्होने उत्तराखण्ड के गढ़वाल जिले मे अनेक आदमखोर बाघों को मारा था जिनमें रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ भी शामिल था। चम्पावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन से भी जिम कार्बेट ने ही लोगों को छुटकारा दिलाया था। मगर बाद मे उनके विचार पलटने से और बाघों की घटती संख्या देखकर इन्होने सिर्फ छायाचित्रकारिता ही अपनाई।

जिम की प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल के ओपनिंग स्कूल से की बाद में सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण पढाई बीच में छोड़कर 18 वर्ष की उम्र में मोकामा घाट (बिहार) जाकर वहाँ रेलवे में नौकरी करने लगे।[1]

जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दु:ख बाँटते रहे।

कुमाऊँ तथा गढ़वाल में जब कोई आदमखोर शेर आ जाता था तो जिम कार्बेट को बुलाया जाता था। जिम कार्बेट वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर और आदमखोर शेर को मारकर ही लौटते थे।

जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वे शिकार करनें में यहाँ दक्ष थे, वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। शिकार-कथाओं के कुशल लेखकों में जिम कार्बेट का नाम विश्व में अग्रणीय है। उनकी 'माई इण्डिया' पुस्तक बहुत चर्चित है। भारत-प्रेम उनका इतना अधिक था कि वे उसके यशगान में लग रहते थे। कुमाऊँ और गढ़वाल उन्हें बहुत प्रिय था। ऐसे कुमाऊँ - गढ़वाल के हमदर्द व्यक्ति के नाम पर गढ़वाल-कुमाऊँ की धरती पर स्थापित पार्क का होना उन्हें श्रद्धा के फूल चढ़ाने के ही बराबर है। अत: जिम कार्बेट के नाम पर यह जो पार्क बना है, उससे हमारा राष्ट्र बी गौरान्वित हुआ है, जिम कार्बेट के प्रति यह कुमाऊँ-गढ़वाल और भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है। इस लेखक ने भारत का नाम बढ़ाया है। आज विश्व में उनका नाम प्रसिद्ध शिकारी के रूप में आदर से लिया जाता है।

कॉर्बेट ने अपनी ज़िंदगी को उन 6 किताबों में सहेज दिया जो उन्होंने लिखीं. कॉर्बेट ने 1943 में अपनी पहली किताब जंगल स्टोरीज़ के नाम से छपवाने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी भेजी, लेकिन वहां उनकी किताब का नाम बदल कर मैन इटर्स ऑफ़ कुमाऊं रख दिया गया. इसी तरह 1948 में उनकी दूसरी किताब आई 'मैन इटर्स लेपर्ड ऑफ़ रुद्रप्रयाग', फिर 1952 में आई माय इंडिया प्रकाशित हुई.

उनकी छठी और अंतिम ट्री टॉप्स उनके निधन के बाद प्रकाशित हुई. 19 अप्रैल 1955 को कार्बेट अपने गांव कालाढूंगी को, केन्या के अपने ट्री हाउस को, अपने चीतों और बाघों को छोड़ कर इस दुनिया से चले गये. उनके निधन के 18 साल बाद उतराखण्ड के रामनगर स्थित जिम कर्बेट नेशनल पार्क में बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाईगर शुरू हुआ.

यकीनन आज भी यहां के बाघ अपने बच्चों को ये ज़रूर बताते होंगे कि एक गोरा भारतीय था जिसने हम आदमखोरों को बचाने के बहुत प्रयास किए थे,

Jim Corbett Books:

Hindi Books:
कुमाऊं के नरभक्षी : https://tinyurl.com/482fwsms
देवी शेर तथा कुमाऊं के अन्य नरभक्षी: https://tinyurl.com/bu7hwnf2
रुद्रप्रयाग का आदमखोर बाग (हिंदी): https://tinyurl.com/jevnbbye
जीत जगती कहानी जंगल की (हिंदी): https://tinyurl.com/2p8rr3z6
कर्नल जिम कॉर्बेट (हिन्दी): https://tinyurl.com/4vjy3p6z
मेरा हिंदुस्तान (हिंदी): https://tinyurl.com/msdvsvau

English Books:
Man-eaters of Kumaon: https://tinyurl.com/mryux42b
The Man Eating Leopard of Rudraprayag: https://tinyurl.com/mj4p6f5k
The Temple Tigers and More Man-Eaters of Kumaon: https://tinyurl.com/4758nwkr
CORBETT OMNIBUS ONE (H/B): https://tinyurl.com/cek7z5d3
THE JIM CORBETT OMNIBUS Two: https://tinyurl.com/4c2pmcxj
The Hour of the Leopard: https://tinyurl.com/37zc55ht
TREE TOPS (OIP): https://tinyurl.com/2962yah7
Just Tigers: https://tinyurl.com/yckrbamc
JUNGLE LORE (OIP) 2/E: Jim Corbett : https://tinyurl.com/3z5yd7dy
Jim Corbett : Man Eaters of Kumaon: https://tinyurl.com/2u2tncvm
My India: https://tinyurl.com/4xfrkfj2

For any queries please mail us on junglestories2@gmail.com

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