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महाविपरीत प्रत्यंगिरा महास्तोत्र - नित्य सुनें - रोग,परप्रयोग,शत्रुदोष,ग्रहदोष आदि दुःख समाप्त होंगे

Sri Arsha Vidya 107,664 4 years ago
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विपरीत प्रत्यंगिरा महास्तोत्र यह किसी भी प्रकार की तंत्रादि क्रिया, अभिषेकादि, तर्पणादि, विषचूर्ण, श्मानादि में किया गया कोई भी प्रयोग, किसी प्रकार की शत्रुबाधा, ग्रह, भूतप्रतादि बाधा, देव, दानवादि किसी प्रकार की बाधा में त्वरित फलदायी है। किसी भी प्रकार की की गयी क्रिया को दुगनी गति से लौटा देता है। इसमें पहले 10 बार मंत्र का जाप है जिसको पढकर दसों दिशाओं में सरसों फेंके जाते हैं। इसके पश्चात स्तोत्र का पाठ होता है। शत्रु की क्रिया के बल का विचार करके इसके पाठों की संख्या निर्धारित करनी चाहिए। सामन्यत: 100 पाठों से सभी क्रियायें वापिस पलट जाती हैं। शरीरों पर लगे ग्रहभूतादि रुदन करते हुए भाग जाते हैं नहीं तो नष्ट हो जाते हैं। प्रबल से प्रबल देवता भी इस महास्तोत्र की शक्ति के आगे विवश हो जाते हैं। कृत्या तो इसके साधक पर नजर भी डाले तो नष्ट हो जाये। यह शत्रु को, शत्रु के हेतु प्रयोग करने वाले को, उस प्रयोग में सहायता करने वाले को, जो शक्ति उन्होंने चलायी है उसको एवं जिन देवी देवताओं अथवा शक्तियों ने उनका सहयोग किया है उन सबको भगवती नष्ट कर देती है। जो स्वयं न कर सके वह हमारे द्वारा किये गये पाठ का बार बार श्रवण करे। शिवा को बलि अवश्य प्रदान करें।

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