इस वीडियो में ज्योतिष शास्त्र एक महत्व पूर्ण बिंन्दु, दांपत्य जीवन के आधार स्तम्भ, अगर नीव अच्छी हो, आधार अच्छी हो तोह इसपर जो भी बिल्कडिंग बनगे वो अच्छीबनेगी। यह वीडियो कुंडली मिलान के बारेमें बात कर रहा है। विवाह के पहले कुंडली क्यों मिलाना चाहिए? इसका क्या महत्व है? इन सब प्रश्नोंके उत्तर आपको इस वीडियो में मिलेंगे।
कुंडली में जो गुण मिलाये जाते है वो हमारे व्यक्तित्व के बारेमें बताते है। ये मिलान क्यों ? क्यूंकि दोनों लोग विपरीत है, अनुकूल होते क्यों मिलान क्यों करते? इस संसार में हम पूर्ति करने हेतु आते है, जो तत्त्व हमारे अन्दर नहीं है वो तत्त्व हम खोजते है। पूर्णता के लिए हम इस जीवन में अपने लिए कोई ढूंढते है। कुंडली मिलाप बहोत कठिन काम है, एक सोने के सिक्के का आभूषण बनाने जैसा है। कुंडली मिलते समय ८ चीज़े मिलानी चाहिए।
वर्ण - इस गुण में वर का गुण कन्या से एक अधिक होना चाहिए तोह १ गुण मिलेगा।
वैश्य - ये वास्तव में अपने भवानोआत्माक संबंधों को समझने का गुण है। एक दूसरे के प्रति आकर्षण के बारे में जानकारी देता है।
तारा - ताराएँ ९ तरह की होती है। तारा एक दूसरे को समझने की शक्ति है। साथमें तारा भाग्योदय का प्रतीक है।
राशि - राशि आपका सोचनेका तरीका बताती है आप क्या iचाहते हो, कर्म क्या है रूचि क्या है ये बताती है।
गण - ३ गण होते है, देव गण मौश्य गण और राक्षस गण। गण दोष में धीरे धीरे स्वस्थ ख़राब हो जाता है, घर में तनाव होता है।
भकूट - भकूट दैनिक जीवन बताता है। प्रति दिन की दिन चरिया को बताता है। भकूट का स्वास्थ से डायरेक्ट रिलेशन है।
नाड़ी - आदमी के अंदर ३ नाड़ी होती है - वाट प्रधान, पित्त प्रधान और कफ प्रधान, नाड़ी दोष में समानता होना ही दोष है
ग्रामेलापक - पितृ दोष , इत्यादि के बारेमें है।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो को अंत तक देखिये।
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