MENU

Fun & Interesting

दुःख की जड़ और बौद्ध दर्शन का गहरा संदेश || आचार्य प्रशांत, बौद्ध दर्शन (शून्यता सप्तति) पर (2024)

Video Not Working? Fix It Now

🧔🏻‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं? लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00036 📚 आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं? फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?cmId=m00036 ➖➖➖➖➖➖ #आचार्यप्रशांत #acharyaprashant #Dukh #BuddhDharma #AryaSaty #Avidya #Karma #Tirshna #Nirodh #Buddha #HumanSuffering वीडियो जानकारी: बोध प्रत्यूषा, 30/01/2024, 29/04/2024, ग्रेटर नॉएडा दुःख की जड़ और बौद्ध दर्शन का गहरा संदेश || आचार्य प्रशांत, बौद्ध दर्शन (शून्यता सप्तति) पर (2024) 📋 Video Chapters: 0:00 - Intro 0:04 - दुख के कारण 14: 32 - अविद्या और संस्कार 21:38 - मनुष्य की चेतना और विज्ञान 24:09 - अनात्म (अहम) का परिभाषा 33:39 - जरामरण का विश्लेषण 34:04 - भोगने की प्रवृत्ति 35:23 - कारणता का सिद्धांत 45:47 - आबलोकन 47:00 - बुद्ध का दर्शन और वेदांत 59:54 - शेर और सुओर की काहानी 1:10:53 - आचार्य नागार्जुन दुख पर 1:19:44 - आचार्य नागार्जुन और बुद्ध 1:21:14 - प्रकृति से संबंध 1:31:22 - समापन विवरण: इस वीडियो में, आचार्य जी ने बौद्ध दर्शन के चार आर्य सत्यों और विशेष रूप से पहले दो आर्य सत्यों पर चर्चा की है। पहले आर्य सत्य में बताया गया है कि दुख मानव जीवन का एक तथ्य है। बुद्ध ने स्पष्ट किया कि दुख का अनुभव हर व्यक्ति करता है और यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। दूसरे आर्य सत्य में, बुद्ध ने कहा कि दुख कभी भी अकारण नहीं होता; इसके पीछे हमेशा कोई कारण होता है। उन्होंने 12 निदानों का उल्लेख किया, जो दुख के कारणों को समझने में मदद करते हैं। ये निदान अतीत, वर्तमान और भविष्य में स्थित होते हैं और इन्हें समझकर व्यक्ति अपने दुख से मुक्ति पा सकता है। आचार्य जी ने यह भी बताया कि बुद्ध का दर्शन मानवता के कल्याण के लिए है और दुख को समझने के लिए हमें अपने भीतर की स्थिति को जानना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि दुख को केवल स्वीकार करना ही नहीं, बल्कि उसके कारणों को भी समझना आवश्यक है ताकि हम अपने जीवन में सुधार कर सकें। प्रसंग: ~ बारह निदान क्या हैं? ~ चार आर्य सत्य कौनसे हैं? ~ दुख क्या है? ~ दुख समुदाय क्या है? ~ दुख निरोध क्या है? ~ अष्टांग मार्ग क्या है? क्योंकि उस दुख का आश्रय किस चित्त में है इस बात का निर्धारण नहीं किया जा सकता। ~ शून्यता सप्तति - छंद 8 काल काल सब कोई कहे, काल न जाने कोय। जेती मन की कल्पना, काल कहावे सोय ।। ~ संत कबीर दास कबीर जतन करि ओढ़ी। जस की तस धर दिनी चदरिया || - संत कबीर संगीत: मिलिंद दाते ~~~~~ #acharyaprashant

Comment