सोमेश्वर से रानीखेत या द्वाराहाट की तरफ सफर करने के दौरान सोमेश्वर से करीब 12- 13 किमी की दूरी पर एक बहुत ही आलीशान छोटा सा एक स्टेशन है, जिसका नाम है लोद।
ब्रिटिश काल के दौरान कुमाऊं के प्रमुख टी स्टेटों में से ये एक माना जाता था ।लेकिन अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद चाय बागानों की देखभाल न होने से ये बागान बर्बाद और बदहाल हो गए। लेकिन धीरे धीरे बाहर से लोग यहां पर बसते गए और एक अच्छी खासी बसावट इस स्थान पर आज देखी जा सकती है। इसके अलावा यहां पर गोलू देवता का झूले वाला मंदिर आकर्षण का केंद्र है जो कि बौरारो पट्टी और सोमेश्वर घाटी के आसपास के सैकड़ों गांवों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है ।
लेकिन कुछ समय से ये लोद स्टेशन यहां की खूबसूरती और गोलू देवता के झूले वाले मंदिर की वजह से नहीं बल्कि यहां पर मिलने वाले पहाड़ी भोजन जैसे भट्ट की चुणकानी और भात के लिए फेमस होने लगा है। कल छरड़ी के अगले दिन समय निकाल कर मैंने यहां की यात्रा की जो कि लगभग 1 साल से मेरी नजर में था। लेकिन समय अभाव के कारण ये यात्रा हर बार टल जा रही थी।
तो आज इस खूबसूरत गांव में जाकर काफी कुछ जानकारी मेरे हाथ लगी और इस प्राचीन गोलू देवता के मंदिर के यहां पर होने के पीछे की एक दिलचस्प वजह भी मुझे पता लगी जो कि आपको इस वीडियो में बताने की कोशिश की है। तो आशा करता हूँ ये वीडियो आपको जरूर पसंद आएगी।
तो आप लोग जुड़े रहिये मेरे चैनल के साथ और इस वीडियो को देखकर अपनी राय, शिकायत और सुझाव जरूर दीजिएगा।
धन्यवाद..💐
C.S PANDEY
A FELLOW TRAVELLER