ट्रेन इंजन: मोटर, व्हील और अंडरगियर का परिचय
ट्रेन को पटरियों पर दौड़ते हुए देखना हमेशा रोमांचक होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के इंजन के व्हील कैसे घूमते हैं? इंजन की मोटर कहां लगाई जाती है, और यह व्हील से कैसे जुड़ती है? ट्रेन इंजन के इन तकनीकी पहलुओं को समझना बहुत ही रोचक है। इस निबंध में हम ट्रेन इंजन की मोटर, व्हील और अंडरगियर के बारे में विस्तार से जानेंगे।
मोटर और व्हील का कनेक्शन
ट्रेन इंजन की मोटर को दो व्हील के बीच में लगे एक्सल पर माउंट किया जाता है। एक्सल पर एक बड़ा गियर जिसे बुल गियर कहा जाता है, लगाया जाता है। इस बुल गियर को मोटर के छोटे गियर, जिसे पिनियन गियर कहा जाता है, से जोड़ा जाता है। जब मोटर चालू होती है, तो पिनियन गियर बुल गियर को घुमाता है, और यह गति एक्सल और व्हील्स तक पहुंचती है, जिससे ट्रेन आगे बढ़ती है। यह पूरी प्रक्रिया मजबूत और स्थिर डिजाइन पर आधारित होती है।
बोगी असेंबली का निर्माण
ट्रेन इंजन में दो बोगी होती हैं। प्रत्येक बोगी में:
6 व्हील,
3 मोटर,
3 एक्सल,
सस्पेंशन सिस्टम,
ब्रेक सिस्टम,
और सैंड इजेक्टर जैसे अन्य उपकरण होते हैं।
ट्रेन इंजन का पूरा भार इन बोगियों पर टिका होता है। बोगी का यह डिज़ाइन न केवल ट्रेन को स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि गति के दौरान झटकों को भी कम करता है।
मोटर का कनेक्शन और पावर सप्लाई
प्रत्येक मोटर को चार केबल्स के माध्यम से पावर सप्लाई की जाती है। इस प्रकार, एक बोगी के लिए 12 केबल्स और पूरी ट्रेन इंजन के लिए कुल 24 केबल्स होती हैं। इन केबल्स को इंजन बॉडी से जोड़ने के बाद मोटर के टर्मिनल पर लगाया जाता है। केबल्स के सिरे पर कॉपर स्लीव लगाए जाते हैं, जिन्हें टर्मिनल पर बोल्ट के जरिए अच्छी तरह से फिक्स किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि पावर सप्लाई में कोई रुकावट न आए।
मोटर की विशेषताएं
इस प्रकार के ट्रेन इंजन में DC सीरीज मोटर का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक मोटर:
750 वोल्ट DC वोल्टेज,
900 एम्पियर करेंट,
और 630 किलोवाट पावर पर काम करती है।
निष्कर्ष
ट्रेन इंजन के अंडरगियर का सेटअप इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है। मोटर, व्हील, और बोगी का यह संयोजन ट्रेन को न केवल भारी भार खींचने की क्षमता देता है, बल्कि इसे सुरक्षित और कुशलता से चलने में भी मदद करता है। यह तकनीकी संरचना रेलवे के क्षेत्र में एक बड़ा योगदान देती है और इसे समझना हर तकनीकी उत्साही के लिए एक शानदार अनुभव हो सकता है।
इससे हमें ट्रेन इंजनों के अद्भुत डिज़ाइन और उनके पीछे छिपी जटिल तकनीक की बेहतर समझ मिलती है।