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परखत खर परखावत खोटी | कबीर उलटवासी के मर्म | धर्मराज के साथ | आरण्यक

Aranyak 236 4 weeks ago
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परखत खर परखावत खोटी बढ़वत बाढ़ि बढ़ावत छोटी परखत खर परखावत खोटी केतिक कहौं कहाँ लौ कही औरों कहौं परै जो सही कहे बिना मोहि रह्यो न जाई बेरहिं लै लै कूकुर खाई खातै खातै युग गया अजहुँ न चेतो जाय कहहिं कबीर पुकारि के जीव अचेते जाय

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