MENU

Fun & Interesting

रुक्मिणी का विवाह | द्रौपदी जन्म की कथा | द्रौपदी का स्वयंवर | श्री कृष्ण महाएपिसोड

Tilak 191,353 4 weeks ago
Video Not Working? Fix It Now

"रुक्मिणी अपने भाई राजकुमार रुक्मि के इस हठ से बहुत परेशान थीं कि उसका विवाह श्रीकृष्ण से नहीं बल्कि शिशुपाल से हो। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उधर रुक्मि का पत्र लेकर सेनापति मगध पहुँचता है। मगध नरेश जरासंध शिशुपाल की बारात में चलने के लिये अपने मित्र राजाओं को न्यौता भेजता है और शिशुपाल को विश्वास दिलाता है कि रुक्मिणी को वही विदा कराकर लायेगा। रुक्मि अपनी बहन रुक्मिणी के कक्ष में जाता है और कहता है कि शिशुपाल तुम्हें ब्याहने इसी सप्ताह आ रहा है। मगध से वरयात्रा प्रारम्भ होती है। उसी रात रुक्मिणी अपनी एक सखी के साथ छिपकर गुरु सदानन्द की कुटिया में जाती है और उनसे कहती हैं कि मैं मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति स्वीकार कर चुकी हूँ। चूकि मेरे भाई रुक्मि के शस्त्रबल से राजपरिवार के सभी सदस्य भयभीत हैं और उसके विरुद्ध मुँह खोलने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। तो जब कोई शस्त्रधारी मेरी सहायता करने को तैयार नहीं है तो एक अबला कन्या एक धर्माधिकारी के पास सहायता माँगने आयी है। गुरु सदानन्द रुक्मिणी को सहायता का वचन देते हुए कहते हैं कि यह मेरी परीक्षा की घड़ी है और मैं किसी की शस्त्रशक्ति से डरे बिना अपने धर्म का पालन करूँगा। गुरु सदानन्द रुक्मिणी का पत्र श्रीकृष्ण तक पहुँचाते हैं। पत्र पढ़ने के बाद श्रीकृष्ण दो दुविधाएं व्यक्त करते हैं। पहला कि शिशुपाल की बारात कुण्डिनपुर पहुँचने वाली है जबकि मैं अभी तक द्वारिका में हूँ तो वहाँ किस प्रकार शीघ्र पहुँचा जाये। दूसरा, राजकुमारी रुक्मिणी अपने पिता के अन्तरंग महल में होंगी तो वहाँ आक्रमण करना क्या वीरोचित कार्य होगा। तब गुरु सदानन्द इसका उपाय बताते हैं। वह कहते हैं कि राजकुल में परम्परा है कि राजकुमारियाँ विवाह से पूर्व गौरी माता की पूजा के लिये भवानी मन्दिर में जाती हैं। यह मन्दिर नगर से बाहर है। वही समय आपके वहाँ पहुचने के लिये उपयुक्त होगा। श्रीकृष्ण अपने सारथी दारुक को तेज गति से दौड़ने वाले अश्वों से जुड़ा रथ निकालने को कहते हैं और फिर गुरु सदानन्द के साथ उस रथ पर विदर्भ राज्य की ओर प्रस्थान करते हैं। श्रीकृष्ण के जाने की सूचना बलराम को अगले दिन मिलती है। श्रीकृष्ण के यूँ अकेले एक साधु के साथ जाने पर बलराम चिन्तित होते हैं। उन्हें श्रीकृष्ण के कक्ष में राजकुमारी रुक्मिणी का पत्र मिलता है। इसे पढ़कर बलराम सारी वस्तुस्थिति समझ जाते हैं। वह अपनी पत्नी रेवती से कहते हैं कि इस समय वहाँ जरासंध, शल्य, शिशुपाल और रुक्मि की पूरी सेनाएं होंगी, वह श्रीकृष्ण को विदर्भ राजकुमारी का हरण नहीं करने देंगी। इसके बाद बलराम सेना को बिना विश्राम किये कुण्डिनपुर कूच करने का आदेश देते हैं। अपने रथ के पीछे घोड़ों की पदाचाप सुनकर ऋषि सदानन्द श्रीकृष्ण से कहते हैं कि सम्भवतः हमारे पीछे शत्रु आ रहे हैं। श्रीकृष्ण हँसकर कहते हैं कि यह दाऊ भैया हैं जो हर समय उनकी चिन्ता करते रहते हैं। उधर शिशुपाल की बारात विदर्भ के राजमहल पहुँच जाती है और द्वारचार की रस्म अदा की जाती है। श्रीकृष्ण के आगमन की कोई सूचना न मिलने से रुक्मिणी की बेचैनी बढ़ती जाती है। वह अपनी सखी मैनावती को ड्योढ़ी पर खड़े रहने को कहती हैं ताकि वह श्रीकृष्ण को दूर से ही देखकर उन्हें सूचित कर सके। राजमहल में राजकुमार रुक्मि वर शिशुपाल से मिलता है और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरी बड़ी इच्छा थी कि मेरी बहन का विवाह तुम्हारे साथ हो और यह इच्छा आज पूरी हो रही है। इस पर शिशुपाल कहता है कि आज मेरे बायें अंग बार बार फड़क रहे हैं और यह अच्छा शकुन नहीं हैं। रुक्मि शिशुपाल को हिम्मत देते हुए कहता है कि शकुन और अपशकुन देखना और उससे प्रभावित होना स्त्रियों का काम होता है। आप जैसे वीर पुरुष, जिन्हें अपने भुजबल पर विश्वास हो, ऐसी बातों से विचलित नहीं होते। और जब इतनी लम्बी यात्रा करके बारात यहाँ पहुँच चुकी है तो अब ब्रह्मा भी इसमें विघ्न नहीं डाल सकते। तभी गुरु सदानन्द राजमहल में प्रवेश करते हैं। सब उन्हें झुककर प्रणाम करते हैं। सदानन्द अपनी आँखों से ड्योढ़ी पर खड़ी मैनावती को संकेत देते हैं। मैनावती का चेहरा खिल उठता है। श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा। In association with Divo - our YouTube Partner #tilak #shreekrishna #shreekrishnakatha #krishna #shreekrishnamahaepisod"

Comment