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वीडियो जानकारी: 03.05.24, वेदांत संहिता, ग्रेटर नॉएडा
पुनर्जन्म तो होता है, ये रहा प्रमाण! || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2024)
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
0:37 - व्यक्तियों की तीन श्रेणियां: मूढ़, विचारक और ज्ञानी
10:05 - पुनर्जन्म का सिद्धांत ; विचारकों के लिए
18:33 - अष्टावक्र - जनक; संवाद
23:06- जन्म मरण से विरक्ति ~ अष्टावक्र गीता,10.8
30:53 - विचारक की दृष्टि: दूसरों के दुःख से सीख
35:10 - मालिक और पंछी का रिश्ता
41:45 - अनंत भविष्य और पुनर्जन्म
52:10 - तथाकथित बाबाओं का मायाजाल
59:32 - ठगी और स्वार्थ
1:03:12 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी पुनर्जन्म के सिद्धांत पर गहन चर्चा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि मनुष्य की सोच और उसकी वृत्तियाँ कैसे उसके जीवन को प्रभावित करती हैं। उन्होंने तीन प्रकार के व्यक्तियों का उल्लेख किया है: विचारक, मूढ़ विचारक, और ज्ञानी। विचारक को पुनर्जन्म का सिद्धांत समझाया जाता है ताकि वह अपनी कामनाओं के खोखलेपन को समझ सके, जबकि मूढ़ विचारक को यह समझाना मुश्किल होता है। ज्ञानी व्यक्ति के लिए पुनर्जन्म का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि वह वर्तमान में जीता है और उसे अपने अस्तित्व की सच्चाई का ज्ञान होता है।
आचार्य जी यह भी बताते हैं कि पुनर्जन्म का सिद्धांत अक्सर गलत तरीके से समझा जाता है, जिससे लोग अपने पिछले जन्मों में महानता का दावा करते हैं। वे यह स्पष्ट करते हैं कि पुनर्जन्म का वास्तविक अर्थ यह है कि अहम वृत्ति बार-बार जन्म लेती है, न कि व्यक्ति विशेष का पुनर्जन्म। अंत में, वे यह बताते हैं कि जीवन में वैराग्य और समझदारी से जीने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने कर्मों के परिणामों को समझ सकें और सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
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प्रसंग:
~ क्या मृत्यु के बाद पुनर्जन्म होता है?
~ पुराने जन्मों की कहानियों का क्या राज़ है?
~ क्या चौरासी लाख योनियाँ होती हैं?
~ मृत्यु के बाद क्या होता है?
~ क्या आत्मा अमर है?
~ क्या पुनर्जन्म होता है?
कृतं न कति जन्मानि कायेन मनसा गिरा ।
दुःखमायासदं कर्म तदद्याप्युपरम्यताम् ॥ ८ ॥
~ वैराग्य शतकम्
भावार्थ:
न जाने कितने जन्मों तक तुमने शरीर, मन एवं वाणी से परिश्रम और क्लेशप्रद कर्मोंका अनुष्ठान किया है, अब तो उनसे उपराम हो जाओ ॥ ८ ॥
संगीत: मिलिंद दाते
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