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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 07.01.2015, (अद्वैत बोधस्थल) नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
~मुक्ति जैसा का क्या आशय है?
~मुक्ति निर्गुण है इसका आशय क्या है?
~क्या उचित कर्म बोध से निकलता है?
संगीत: मिलिंद दाते
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दोहा:
जो तू चाहे मुक्त को, छोड़ दे सब आस।
मुक्त जैसा ही हो रहे, सब कुछ तेरे पास || (संत कबीर)