इस चैनल का गठन उत्तराखंड की जागर शैली को दर्शाने के लिए हुआ है, चैनल किसी भी पंथ ,समुदाय , या व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नहीं रखता ।
इस चैनल के माध्यम से आपको बताया जाएगा व दिखाया भी जाएगा कुमाऊं की जागर शैली क्या महत्व रखती है और इसका सही रूप क्या है.
जागर/मंडान देव भूमि उत्तराखंड की एक पवित्र देव परंपरा है इसका आयोजन किसी विशेष खुशी या आपदा की स्थिति में होता है.........जागर एक प्रकार का दैवीय आव्हान है जो यहां की भूमि में सदियों से चला आ रहा है, जिसमें यहां के लोग अटूट आस्था व विश्वास रखते
देव शक्ति का आव्हान यहां के वाद्य - यंत्र: ढोल , दमाऊं , नगाड़े , भोकर, हुड़का , कांसे की थाली और डौर ( डमरू) के माध्यम से होता है जिसमें कुछ विशेष व्यक्ति जिन्हें देवताओं का डांगर ,घोड़ा व धामी अन्य नामों से भी जाना जाता है इनके भीतर देव अंश जागरूक कर देव नृत्य होता है, जिसमें देवता देव धूनी के चारों ओर नृत्य कर परिक्रमा करतें हैं और स्योंकार /साहूकार( जागर आयोजनकर्ता) को अपने बोल के माध्यम से मार्गदर्शन देतें है पूरे कुटुंभ परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं।
आपको कुछ जानकारियां लिखित तौर से ऊपर दे दी गईं है अन्य जानकारियां व जागर के पात्रों से आपको भविष्य में वीडियो के माध्यम से अवगत कराया जाएगा।