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वीडियो जानकारी: 12.11.23, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा
Title : अपनी जेल के भीतर हम बिल्कुल स्वतंत्र हैं, जैसे खूँटे से बँधा पशु आज़ाद है || आचार्य प्रशांत (2023)
0:00 - Intro
0:49 - हम स्वतंत्र हैं या नहीं, यह कैसे जानें?
6:18 - अध्यात्म के नाम पर दूषित ज्ञान
11:21 - सच्चा प्रेम एक ललकार है
17:08 - भूल सुधारने का सूत्र
18:31 - अवतारों के चित्रों में संघर्ष की अनदेखी
27:17 - सच्ची ज़िंदगी कैसे जिएँ?
28:53 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने स्वतंत्रता, संघर्ष और आत्मा की खोज के विषय में गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बताया कि असली स्वतंत्रता का अनुभव तभी होता है जब हम अपने भीतर के डर और सीमाओं को चुनौती देते हैं। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि जीवन में संघर्ष और कठिनाइयाँ आवश्यक हैं, क्योंकि ये हमें हमारी असली क्षमता का एहसास कराती हैं।
उन्होंने उदाहरण दिया कि जब हम अपने शरीर को शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से चुनौती देते हैं, तो हमें अपनी स्वास्थ्य स्थिति का सही ज्ञान होता है। इसके विपरीत, जो लोग आरामदायक जीवन जीते हैं, वे अपनी बीमारियों को अंत में ही पहचानते हैं।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि अध्यात्म का असली अर्थ संघर्ष और चुनौती है, न कि केवल आराम और संतोष। उन्होंने यह भी बताया कि समाज में जो छवियाँ संतों और महान व्यक्तियों की बनाई गई हैं, वे अक्सर वास्तविकता से दूर होती हैं। असली संत और महान लोग अपने संघर्षों और कठिनाइयों के साथ जीते हैं, और हमें उनकी सच्ची कहानियों को समझने की आवश्यकता है।
प्रसंग:
~ हम कितने स्वतंत्र हैं?
~ जीवन को चुनौती दिए बगैर खुद को स्वतंत्र मान लेना पलायन क्यों कहलाता है?
~ बेड़ियों को चुनौती देना क्यों ज़रूरी है?
~ चौखट को लांघना क्यों ज़रूरी है?
~ क्यों हमारे लिए 'नेति नेति' करना ज़रूरी है?
~ सकारात्मक जुमलों से क्यों बचना चाहिए?
~ शर्त क्यों रखना चाहिए?
~ सच्चा प्रेम कैसा होता है?
~ अध्यात्म किसके लिए होता है?
~ बड़ी लड़ाई लड़ना क्यों ज़रूरी है?
~ अध्यात्म का मतलब क्या है?
~ सच्चाई कैसी होती है?
~ ज्ञानी, महापुरुषों का कैसा चेहरा चित्रित करना चाहिए?
संगीत: मिलिंद दाते
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