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माँ भादरिया राय के प्रकट होने के साथ जुड़ी रोचक कथा | 4K | दर्शन 🙏

Tilak 27,017 2 years ago
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श्रेय: संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल लेखक - रमन द्विवेदी भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और अभिनन्दन..भक्तों! हमारे देश के सिरमौर राजस्थान के चारणकुल में जन्मी अनेक देवियाँ हैं जिन्होंने अपने जीवनकाल में ही प्रत्यक्ष चमत्कारों के बलबूते राजस्थान के आम जन मानस और शासकों को भी प्रभावित किया है। यही कारण है कि इन देवियों को इनके जीवनकाल में ही जहाँ आम जनता ने ईष्टदेवी के रूप में पूजा, तो वहीं राजाओं ने अपनी कुलदेवी के रूप प्रतिष्ठित किया और मंदिर बनवाया। ऐसा ही मंदिर है स्वांगिया माता और आवड़ माता के नाम से प्रसिद्ध भादरिया राय माता का मंदिर ... मंदिर के बारे में: भक्तों परमाणु नगरी पोकरण से 50 किमी की दूरी पर स्थित भादरियाराय माता मंदिर एक भव्य और दिव्य मंदिर है, जो मध्यकालीन रियासतों की याद दिलाता हुआ श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जैसलमेर के इतिहास को गौरवान्वित करनेवाले भादरिया राय माता मंदिर की स्थापना विक्रम संवत् 1888 में हुई थी। समय के बदलाव के साथ मंदिर के सतत नवनिर्माण व जीर्णोद्धार के चलते वर्तमान में यह एक विशाल मंदिर है। नागर शैली में निर्मित होने के कारण इस मंदिर में शिखर का अभाव है। माता के प्राकट्य का इतिहास: भक्तों मान्यता है कि देवी आवड़ के पूर्वज सिंध प्रांत के निवासी सउवा चारण थे। जो गौपालन और अश्वपालन के व्यवसाय करते थे। उन्हीं में से एक चेलाराम चारण सिंध से आकर मांड प्रदेश यानि वर्तमान जैसलमेर के चेलक गांव में बस गए थे। उन्हीं के वंश में आगे चलकर मामड़िया नाम के एक चारण हुए। उनके कोई संतान नहीं थी। संतान की कामना से ममड़िया विक्रम संवत 808 में माता हिंगलाज की यात्रा पर गए। वहाँ उन्होने विधिवत पूजा अर्चना करते हुये माता हिंगलाज से संतान की मनौती मांगी। तब माता हिंगलाज ने मामड़िया जी के घर में सात कन्याओं के रूप में स्वयं जन्म लेने का स्वप्नादेश दिया। कालांतर मामड़िया जी को संतान स्वरूप सात कन्याएँ हुई। इनमें सबसे बड़ी कन्या का नाम आवड़ रखा गया। ये सातों बहनें कालांतर आवड़ देवी के नाम से विख्यात हुईं। जनकल्याण का कार्य करने के कारण आवड़ बहनों को कल्याणी देवी भी कहा जाता है। भक्तों कालांतर माता आवड़ के सात मंदिर बने, जो काला डूंगरराय मंदिर, भादरियाराय मंदिर, तन्नोटराय मंदिर, तेमड़ेराय मंदिर, घंटीयाली राय मंदिर, देगराय का मंदिर और गजरूप सागर मंदिर नाम से प्रसिद्ध हैं। भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏 इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏 Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. #temple #travel #vlogs #hinduism #maabhadriyaraiemple #devotional #rajasthan #darshan #tilak

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