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वीर अंगद की रावण को चेतावनी | रामायण महाएपिसोड | Tilak

Tilak 4,273,321 3 months ago
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"भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान! शेषावतार लक्ष्मण अत्यन्त क्रोध में किष्किंधा नगरी में प्रवेश करते हैं। उनके क्रोध के दावानल से वानर परिवारों में खौफ छा जाता है। अंगद इसकी सूचना हनुमान और जामवन्त को देते हैं। महल में लक्ष्मण अपने धनुष की प्रत्यन्चा की टंकार देते हैं। इसकी गूँज सुग्रीव के अन्तःपुर तक सुनायी पड़ती है। सुग्रीव के सामने नृत्य कर रहीं नर्तकियाँ भयभीत होकर वहीं जड़ हो जाती हैं। हनुमान रानी तारा से लक्ष्मण के समक्ष जाने का निवेदन करते हैं। वे जानते हैं कि रघुवंशी स्त्री पर क्रोध नहीं करते हैं। तारा के स्वागत को लक्ष्मण ठुकरा नहीं पाते लेकिन वे सुग्रीव से मिलने के लिये उद्धत हैं। हनुमान लक्ष्मण को सुग्रीव के पास ले जाते हैं। लक्ष्मण सुग्रीव को कृतघ्न कहते हैं। हनुमान स्थिति को सम्भालते हुए कहते हैं कि महाराज सुग्रीव, नल और नील को वानर यूथपतियों को एकत्र करने के लिये पहले ही भेज चुके हैं। सुग्रीव राम के पास जाते हैं। हनुमान जी के पिता केसरी भी राम से मिलने आते हैं। वानर यूथपतियों की सभा को सम्बोधित करते हुए सुग्रीव कहते है कि उनकी राम से मित्रता आर्य और वनवासियों की अलग अलग संस्कृतियों का एकीकरण है। सुग्रीव सीता की खोज के लिये चारों दिशाओं में जाने वाले वानर दलों का गठन करते हैं। हनुमान का विचार है कि रावण दक्षिण की ओर जाते देखा गया है तो दक्षिण में सीता के मिलने की अधिक सम्भावना है। इस पर सुग्रीव दक्षिण दिशा में जाने वाले खोजी दल का नेतृत्व युवराज अंगद को देते हैं। सुग्रीव हनुमान को अंगद का सहयोगी बनाकर साथ भेजते हैं। दक्षिणगामी दल का महत्व देखते हुए बुद्धिमान जामवन्त और अभियान्त्रिकी में निपुण नल और नील को भी इसमें शामिल किया जाता है। सुग्रीव कहते हैं कि सागर के बीच अगस्त्य ऋषि द्वारा स्थापित महेन्द्रगिरी पर्वत है। उसके सामने चार सौ कोस के विस्तार में एक द्वीप है जहाँ मानव नहीं जा सकते। सुग्रीव हनुमान से इस द्वीप पर विशेष अनुसंधान करने को कहते हैं। वानर दल राम को प्रणाम कर अभियान पर रवाना होते है। राम को आभास होता है कि हनुमान के द्वारा ही उनका कार्यसिद्ध होगा। हनुमान ही सीता के समक्ष पहुँचेंगे। वे हनुमान को भरत समान भाई कहते हैं। वे हनुमान को राम नाम अंकित अपनी मुद्रिका देते हैं और कहते हैं कि जब वो सीता के समक्ष पहुँचेंगे तो सम्भव है कि सीता उनपर सन्देह करें। यदि हनुमान उन्हें यह मुद्रिका दिखायेंगे तो वो समझ जायेंगी कि राम ने ही उन्हें भेजा है। राम हनुमान से कहते हैं कि सीता से मिलने पर वह उन्हें सन्देश दें कि अब राम उन्हें वापस लाने में देर नहीं करेंगे। हनुमान मुद्रिका को आदर पूर्वक अपनी आँखों से लगाते हैं। रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है। निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर पटकथा और संवाद - रामानंद सागर संगीत - रविंद्र जैन शीर्षक गीत - जयदेव अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा संपादक - सुभाष सहगल कैमरामैन - अजीत नाइक प्रकाश - राम मडिक्कर साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार Tilak is home to the greatest Mythological stories and finest devotional musical offerings in the form of Bhajan's, Mantra's and Aarti's. We plan to launch more than 20000+ Clips in the time to come. We are starting with the legendary TV series Ramayan. In association with Divo - our YouTube Partner #Ramayan #RamanandSagar #ShriRam #MataSita #Hanuman #Lakshman #RamayanaEpisodes #Bhakti #Hindu #tvseries #RamBhajan #RamayanaStories #RamayanTVSeries #RamCharitManas #DevotionalSeries"

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