मां चंडिका नारी देवी की द्वारि कुंडली क्या होती है?
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17 नवंबर 2023 को मां भगवती नारी देवी अपनी यात्रा भ्रमण के लिए अपने गर्भ ग्रह से बाहर निकल चुकी है। आज लगभग लगभग एक महीने से ऊपर हो चुका हैं, देवी को यात्रा भ्रमण पर। देवी ने पूरब दिशा की यात्रा को निर्विघ्न सम्पूर्ण कर लिया है और अब उत्तर दिशा की यात्रा पर निकल चुकी है इस दिवारा यात्रा से संबंधित छोटी सी जानकारी आपको देने का प्रयास किया जा रहा है । नारी देवी सबसे पहले यहां पर घर दीवारा करती हैं। इसको पूर्ण होने के उपरांत देवी नारी, खतेणा, सतेरा और स्युपुरी इन चारों गांव और इसके छोटे-छोटे मोहल्ले हैं, जो अलग-अलग है, वैसे इसको नौज्युला बोलते हैं। मतलब कि यह नौ गांव के बराबर है, तो इनका पूर्ण रूप से भ्रमण करके देवी अपने निवास स्थान नारी गांव में आती है। उसके बाद की जो यात्रा शुरू होती है, वह भगवती की मायके के लिए होती है। मायके के गुरु लोग माता को आमंत्रित करते हैं। जिसको की गढ़वाली भाषा में मैत बुलाना होता है, मायके बुलाना होता है। वहीं पर देवी भगवती अपने मायके में दो या तीन दिन का विश्राम करती है। उसके बाद वहां से पूरब दिशा की यात्रा शुरू हो जाती है। यह प्रथम दिवारा यात्रा होती है। प्रथम दिवारा यात्रा के बाद भगवती का मंदिर में पूजा का कार्यक्रम होता है। उसके बाद फिर देवी भगवती उत्तर दिशा की ओर यात्रा भ्रमण पर चली जाती है। जो की मयकोटी गांव से शुरू होती है और उत्तर दिशा की यात्रा करने के बाद भगवती फिर अपने मंदिर में आती हैं। उसके बाद माता दक्षिण दिवारा यात्रा के भ्रमण पर चली जाती है। और यहां पर सबसे पहले माता सांदर गांव में विश्राम करती है। उसके बाद माता जो है पश्चिम दिशा की ओर यात्रा पर जाती है। वहां से आने के बाद माता फिर अपने मायके में जाती है, और उसके बाद माता अपने हवन कुंड में जाती है। कुल मिलाकर भगवती चार दिवारा यात्राओं पर जाती है। और माता का हर दिवारा पर पूजा का अलग से कार्यक्रम होता है। और अंत में भगवती अपनी पूरी दिवारा यात्रा संपन्न करने के बाद माता यज्ञ में बैठ जाती है। और उसके बाद 9 दिन का नारी गाँव में यज्ञ चलता है। उसके बाद देवी भगवती नारी देवी अपने निवास स्थान पर बैठ जाती है।
🙏🙏।।बोलो नारी देवी, माँ चण्डिका की जय।।🙏🙏