भजन :- हरि छोड़ के किसी के सँग प्यार न करो...||
महात्मा तारकेश्वरानंद जी || मानव उत्थान सेवा समिति - मूसेपुर, आज़मगढ़ #manavdharam #specialvideo #shrisatpaljimaharaj #ytlongvideo
मानव धर्म क्या है ... ?
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ये वो प्रश्न है, जिसे "श्री कृष्ण" जी से अर्जुन ने पुछा था ।
पितामह "भीष्म" ने, महात्मा "बिदूर" से पुछा था ।
और, "द्रौपदी" ने धर्मराज "युधिष्ठिर" से पुछा ।
यानि की धर्म की बारे मे जानने की जिज्ञासा हजारों साल पहले से ही मनुष्य मात्र मे ही बिद्यमान है ।
इस प्रश्न के उत्तर रूप मे -- 4 बेद, 6 शास्त्र, 108 उपनिषद, 17 पुराण मौजूद है। यदि साराँश रूप मे समझना हो, तो "राम चरित मानस" ही पर्याप्त है ।कहने का अर्थ है कि, धर्म केवल एक ही है । वो है सर्वोच्च "मानव-धर्म" क्योंकि यह किसी किताब का मोहताज नहिं | किसी खास ब्याक्ति के मोहताज नहिं । यह धर्म पूरे तरह प्रकृति प्रदत्त है । जिसे मनुष्य तो क्या, जानवर भी समझते है । हमने देखा है--- क्या आप ने "गणेशजी" के गीत पर चूहे को डान्स करते हुए देखा है ? क्या आप ने "नन्दी महाराज" को भगवान् "शिव"कि परिक्रमा करते हुए देखा है ?धर्म क्या है - वो है -- "मानव-धर्म"- "सनातन धर्म"- ही "मानव-धर्म" हैं ।।
भाईयों-बहिनों! मानव धर्म के प्रणेता सदगुरुदेव सतपाल महाराज जी का यही सन्देश है ➖हिन्दू,मुस्लिम सिक्ख, ईशाई होने पूर्व हम सब मानव हैं | इसलिए मानव अपने अन्दर मानव धर्म को जाने |
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