नित्य हवन सरल विधि
सर्वप्रथम एक चम्मच में घी की बाती और कर्पूर को माचिस से जलाकर निम्न मंत्र पढ़ते हुए अग्निकुंड या हवनकुंड में अग्नि स्थापना करनी चाहिए
मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्वर्द्यौरिव भूम्ना पृथिवीव वरिम्णा ।
तस्यास्ते पृथिवि देवयजनि पृष्ठेऽग्निमन्नादमन्नाद्यायादधे ॥
संक्षिप्त मंत्र
ॐ अग्निं दूतं पुरादेधे हव्यावाहमुपब्रुवेदेवां२ऽआसादयादिह।
फिर समिधाएं इस प्रकार रखें की अग्नि प्रदीप्त हो जाये।
अग्नि प्रज्वलित होने पर अग्निदेव को प्रणाम करें।
धूप, दीप, पुष्प, गंध अक्षत आदि अर्पित करें।
फिर निम्न आहुतियां सिर्फ घी से दें। और आहुति से बचे घी की आहुति एक जल भरे पात्र में डालें।
ओम भूः स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।
ओम भुवः स्वाहा, इदं वायवे इदं न मम।
ओम स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।
ओम अगन्ये स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।
ओम घन्वन्तरये स्वाहा, इदं धन्वन्तरये इदं न मम।
ओम विश्वेभ्योदेवभ्योः स्वाहा, इदं विश्वेभ्योदेवेभ्योइदं न मम।
ओम प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये इदं न मम।
ओम अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदमग्नये स्विष्टकृते इदं न मम।
फिर प्रथम आहुति प्रथम पूज्य गणेश जी को
आहुति और माता अम्बिका को दें।
आहुति के लिए मृगी मुद्रा का प्रयोग करें।
मृगी मुद्रा वह है जिसमें अंगूठा, मध्यमा और अनामिका उंगलियों से सामग्री होमी जाती है।
ओम गणेशाय नमः स्वाहा।
ओम गौरी देव्यै नमः स्वाहा।
ॐ इष्टदेवाय नमः स्वाहा ३ बार
ॐ इष्टदेविये नमः स्वाहा ३ बार
ॐ कुलदेवाय नमः स्वाहा ३ बार
ॐ कुलदेविये नमः स्वाहा ३ बार
ॐ सूर्याय नमः स्वाहा।
ॐ सोमाय नमः स्वाहा।
ॐ भौमाय नमः स्वाहा।
ॐ बुधाय नमः स्वाहा।
ॐ गुरुवे नमः स्वाहा।
ॐ शुं शुक्राय नमः स्वाहा।
ॐ शनैश्चराय नमः स्वाहा।
ॐ राहवे नमः स्वाहा।
ॐ केतवे नमः स्वाहा।
ॐ हं हनुमते नमः स्वाहा 21 बार
फिर आपको जिस भी देवता की आहुति देनी है उसके मंत्र से जितनी बार चाहे आप आहुति दे सकते हैं
हवन पूरा होने के बाद निम्न दो मंत्र बोलकर अंतिम आहुति दें।
इसके बाद ये दो मंत्र एक एक बार बोलें।
ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा। प्रायश्चित आहुति मन्त्र।
ॐ सर्वे वे पूर्ण ग्वं स्वाहा। पूर्णा हुती मन्त्र.
फिर प्रणाम करें।