जय नरसिंह भैरव बाबा कौथीग भव्य उत्सव
भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ था. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के पांचवें मुख ने शिव की आलोचना की थी, जिससे शिव को गुस्सा आ गया था और इसी गुस्से में काल भैरव का जन्म हुआ था.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अंधकासुर नाम का दैत्य अनीति और अत्याचार की सीमाएं पार कर रहा था. एक बार घमंड में चूर होकर वह भगवान शिव पर हमला करने लगा था. तब उसके संहार के लिए शिव के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई थी.
भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है. भक्तों के लिए ये दयालु, कल्याणकारी और जल्दी प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं.
मान्यता है कि अगर इनके भक्तों का कोई नुकसान करता है, तो उसे तीनों लोकों में कहीं भी शरण नहीं मिलती.
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव भगवान को प्रसन्न करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
उज्जैन के भैरवगढ़ इलाके में स्थित एक मंदिर में काल भैरव के साक्षात दर्शन होते हैं. इस मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का ही प्रसाद चढ़ता है.
दोस्तों इसमें मैंने भगवान नरसिंह के नौ रूपों का वर्णन करा हुआ है वैसे तो दुनिया में सभी जानते हैं भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान हैं लेकिन कुछ वहां के स्थानीय लोगों के मुख से सुनी कहानियां और कई उत्तराखंड की घरों में लगाते हुए जात्रा की कहानियों में मैंने सुना उसके आधार पर मैंने यह वीडियो तैयार किया हुआ है इसलिए दोस्तों मैं आप सभी से उम्मीद करता हूं कि आप लोगों को वीडियो पसंद आएगा
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