इस चैनल का लक्ष्य ना सिर्फ आपका मनोरंजन करना बल्कि आपको उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति के साथ जोड़ना भी है !
माँ राजराजेश्वरी चंडिका देवी की यात्रा भाग - २ // Maa Rajrajeshwari Chandika Yatra part -2 ( 2025 )
#maarajrajeshwari #maachandika #yatra #chamoli #simli #uttarakhand #garhwalijagar
@rajrajeshwariyatra
भ्रमण कार्यक्रम
चंडिका देवी की द्योरा यात्रा का पहला पड़ाव रतूड़ा होगा। इसके बाद रतूड़ा से बसक्वाली, सेनू, सुंदरगांव, कोली, पुडाणी और पुजारियों के गांव गैरोली जायेगी। उसके बाद गढ़वाल का भ्रमण शुरू होगा। देवी चमोली जनपद के अलावा, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी और टिहरी भी जाएंगी।
देवभूमि उत्तराखंड में चमोली जनपद के सिमली में पिंडर नदी के सुरम्य तट पर विराजमान श्री राजराजेश्वरी चंडिका देवी एक बार फिर अपने भक्तों और ध्याणियों को मूर्त रूप में साक्षात दर्शन देंगी। चंडिका देवी 7 सितंबर को गर्भगृह से बाहर भक्तों के बीच आएंगी और 11 सितंबर से बन्याथ यात्रा का शुभारंभ होगा। द्योरा या बन्याथ यात्रा में देवी चंडिका का पहला गन्तव्य और प्रथम त्रियामा विश्राम रतूड़ा गांव में होगा। रतूड़ा (चांदपुर) से चंण्डिका देवी का प्राचीन रिश्ता है।
इस बार बन्याथ या द्योरा यात्रा में चंडिका देवी और क्षेत्र के तमाम कुल देवी देवताओं का भावपूर्ण और अद्भुत महामिलन भी 14 वर्षों बाद श्रद्धालुओं को देखने को मिलेगा। इसके साथ ही विभिन्न तरह के धार्मिक अनुष्ठानों और पौराणिक पंरपराओं के साथ आस्था, आध्यत्म और संस्कृति की त्रिवेणी का प्रवाह भी जगह-जगह नजर आयेगा।
गोल गोविंद, गुणसाई, चंडिका देवी
सिमली का चंडिका देवी मंदिर या श्री राज राजेश्वरी चंडिका माता मंदिर शक्ति की प्रमुख देवी काली माता को समर्पित है। यहां के जिस पैतो मंदिर में इस समय चंडिका देवी विराजमान हैं, वह स्थान मूल रूप से गोविंद मठ है, जिसमें गोल गोविंद, गुणसाई, चंडिका देवी और राज राजेश्वरी देवी की मूर्तियाँ विराजमान हैं। यहां कुल 4 बड़े मंदिर हैं, जबकि कुछ छोटे मंदिर भी हैं।
सिमली की चण्डिका देवी का इतिहास, गोविंद मठ का महत्व, देवी के सिमली तक पहुंचने की यात्रा और 11 सितंबर से होने वाली द्योरा यात्रा से जुड़ी कई बातें जानने के लिये हमने 1994 में चंडिका देवी की बन्याथ यात्रा में बतौर पुजारी पूरे क्षेत्र के भ्रमण कर चुके पंडित महानंद गैरोला (92 वर्ष). श्री चंडिका देवी के अन्य पुजारियों, आयोजन समिति के पदाधिकारियों, बुजर्गों, कई विद्वतजनों और स्थानीय लोगों से बातचीत की और इस अद्भुत आयोजन से जुड़ी जानकारियां जुटाने की कोशिश की।