हर-हर गंगे!
प्रयागराज का प्राण हैं कल्पवासी। यहाँ पूर्णकुंभ 12 वर्ष में आता है, लेकिन कल्पवासी प्रति वर्ष माघ मास में आते हैं और प्रयागराज को आध्यात्मिक राजधानी में परिवर्तित कर देते हैं। माना जाता है कि इस माघ मास में समस्त देवी-देवता, गंधर्व, किन्नर, साधु-संत तीर्थराज प्रयाग में वास करने के लिए आते हैं। माघ महीने में जब सूर्य मकर राशि में होता है, तब लाखों लोग संगम क्षेत्र की रेती पर कठिन साधना करते हैं। महाकुंभ में यह और भी श्रेष्ठ हो जाता है।
क्या है कल्पवास और इसके लिए लोग क्यों आते हैं प्रयागराज? इस वीडियो में जानते हैं।
महाकुंभ सत्संग, भाग-4
निवेदन
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