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वीडियो जानकारी: 24.03.2024, संत सरिता , ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने जीवन में समस्याओं और उनके स्रोतों पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर हमें समस्याएं तब महसूस होती हैं जब कोई बड़ी बाधा या दुर्घटना होती है, जैसे कि नौकरी का जाना, किसी प्रिय का निधन, या कोई बड़ी आपदा। लेकिन छोटी-छोटी समस्याएं, जैसे कि रोजमर्रा की परेशानियां, अक्सर हमारे ध्यान को भटकाती हैं और हमें असली समस्याओं से दूर रखती हैं।
आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि असली समस्या भीतर होती है, और बाहरी समस्याएं केवल एक भ्रम होती हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने भीतर की समस्याओं को नहीं समझते, तब तक हम बाहरी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। आत्मज्ञान ही असली समाधान है, और जब हम अपने भीतर की समस्याओं को पहचानते हैं, तो हम बाहरी समस्याओं को भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि समाज में नैतिकता और आध्यात्मिकता का अभाव है, जो कि समस्याओं का मुख्य कारण है। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपने भीतर की समस्याओं को सुलझाने के लिए आत्मज्ञान की ओर बढ़ना चाहिए।
प्रसंग:
~ छोटी समस्यों से छुटकारा कैसे पाएं?
~ हमें अपने आम जीवन से समस्या कब होती है?
~ आम आदमी अपने जीवन का केंद्र को बदलता क्यों नहीं?
~ हमारी सारी समस्याएं क्या हमारे सामर्थ्य के दायरे में होती हैं?
~ हम वास्तविक समस्या से बेखबर क्यों रहते हैं?
राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे !
अंजन उतपति, ॐ कार, अंजन मांगे सब विस्तार,
अंजन ब्रह्मा, शंकर, इन्द्र, अंजन गोपी संगि गोविंद रे ॥1।।
अंजन वाणी, अंजन वेद, अंजन किया नाना भेद,
अंजन विद्या, पाठ-पुराण, अंजन वो घट घटहिं ज्ञान रे ॥2॥
अंजन पाती, अंजन देव, अंजन ही करे, अंजन सेव,
अंजन नाचै, अंजन गावै, अंजन भेष अनंत दिखावै रे ॥3॥
अंजन कहों कहां लग केता? दान-पुनि-तप-तीरथ जेथा !
कहे कबीर कोई बिरला जागे, अंजन छाड़ि निरंजन लागे ! ॥4॥
~ कबीर साहब
संगीत: मिलिंद दाते
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