गायक -गोपाल दास वैष्णव
भजन - बाबू जी बिना टिकट क्यो बैठा
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भजन लिखने में कोई त्रुटि हो तो क्षमा करे
म्हारो खर्चा मालिक पूरे ,
मैं वाका नाम पर रेता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।
(1) तीन गुणा का डिब्बा बणाया ,
मन का इंजन जोता ,
काम क्रोध रा फुकया कोयला ,
अणि में चेतन सिटी देता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।
(2) तीर्थवासी आया रेल में , |
आवागमन में रेता ,
होय निरंजन फिरा जगत में ,
कोड़ी पास नहीं रखता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।
(3) राता पिला सिग्नल बनाया ,
सोहंग तार खिंचता ,
अला अलद का लीना आसरा ,
ऐसी लेंन जमता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।
(4) निर्भय होकर आया जगत में ,
दाम पास नहीं रखता ,
माया की नही बांधा गाँठड़ी ,
मैं तो वह वनियारा में रेता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।
(5) अमरापुर से चिट्ठी उतरी ,
हेला पाड कर देता , |
गुर्जर गरीबी में कनीराम बोले ,
अमर पास कर लेता ,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता ,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।