बिरहा जगत के महान गायक स्व. परशुराम यादव के बड़े भाई कवि शिव बचन से बातचीत हुई। स्व. परशुराम यादव और उनके परिवार के कला प्रेम और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को दिखाती है। उनके बड़े भाई, कवि शिव बचन ने जो अपनी जीवन यात्रा साझा की, वह एक प्रेरणा है, खासकर यह कि चारों भाइयों के बीच शिक्षा और कला के प्रति गहरी जागरूकता और प्रेम था।
चारों भाइयों का यह विचार था कि "खाना कम खाओ, चलेगा, लेकिन शिक्षा बहुत जरूरी है।" यह उनके जीवन का आदर्श था, जिसमें वे अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करते थे। इसके अलावा, कला के प्रति उनका रुझान भी बहुत था, खासकर बिरहा गायन और लेखन में।
स्व. परशुराम यादव सबसे छोटे थे और उनकी कला यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि वे जब पहली बार मंच पर गए, तो उनके तीनों बड़े भाई उनके साथ थे। वे मंच के नीचे से उन्हें हौसला देते थे, ताकि वे न केवल आत्मविश्वास के साथ गायन कर सकें, बल्कि अपनी कला को पूरी दुनिया तक पहुंचा सकें। यह दिखाता है कि परिवार का समर्थन न केवल मानसिक रूप से, बल्कि सृजनात्मक रूप से भी कितना महत्वपूर्ण होता है।
इस कड़ी में, भाइयों के बीच एक मजबूत रिश्ते की भावना थी, जिसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का आदान-प्रदान था। उनके भाई शिव बचन भी खुद एक कवि थे, और उन्होंने अपनी रचनाओं से कला और संस्कृति को जीवित रखा था।
कैमरा मैन- श्याम सुंदर पासवान
वीडियो एडिटर- राहुल यादव व राम विलास यादव
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