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क्या साक्षी होने का अर्थ है विचारों को देखना? || आचार्य प्रशांत (2024)

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वीडियो जानकारी: 15.08.2024, प्रश्नोत्तरी सत्र, ग्रेटर नोएडा

प्रसंग:
~ अहम् क्या? साक्षी कौन?
~ प्रेम को जीवन में कैसे उतारें?
~ दृष्टा भाव का वास्तविक अर्थ क्या है?
~ क्या साक्षी होने की कामना करना सही है?
~ निष्पक्ष होकर अपनी कामना को कैसे देखें?

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी "साक्षी भाव" और "ईमानदारी" के संबंध में चर्चा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि साक्षी भाव एक प्रक्रिया है, जो हमें अपने कार्यों और भावनाओं के प्रति जागरूक बनाता है। आचार्य जी का कहना है कि साक्षी भाव का अर्थ है कि हम अपने कार्यों को बिना किसी पूर्वाग्रह के देख सकें और अपनी इच्छाओं से मुक्त होकर जीवन जी सकें।

वे यह भी बताते हैं कि आजादी का असली मतलब केवल बाहरी स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि आंतरिक स्वतंत्रता भी है। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि हमें अपने अतीत से मुक्त होना चाहिए ताकि हम अपने वर्तमान को सही तरीके से जी सकें। वे यह भी कहते हैं कि हमें अपने भीतर की स्वतंत्रता को पहचानने की आवश्यकता है, ताकि हम बाहरी स्वतंत्रता का सही मूल्य समझ सकें।



संगीत: मिलिंद दाते
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#acharyaprashant

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