सिद्ध साधक कैसे बने ? | साधक का जीवन कैसा होना चाहिए। साधक का मूल मंत्र, दिनचर्या और शर्ते | परमपूज्य गुरुजी प्रवचन
साधारण से दिखनेवाले मनुष्य में इतनी शक्ति छुपी हुई हैं, कि वह हजारों जन्मों के कर्मबंधनों और पाप कर्मों को काटकर, अपने अजन्मा अमर आत्मा में प्रतिष्ठित हो सकता है। मनुष्य तो क्या, यक्ष, गंधर्व, किन्नर एवम देवता भी उसका दर्शन पाकर, तथा यशोगान करके अपना भाग्य बनाने लगेंगे, ऐसा खजाना मनुष्य के भीतर छुपा हुआ है। महान् होने की इतनी सम्भावनाओं के रहते हुए भी, मानव बहिर्मुख होने के कारण पशु की तरह जीवन जीता हैं। व्यर्थ के तुच्छ भोग विलास में ही अपना अमूल्य जीवन बिता देता है, और अंत में अतृप्ति के कारण निराश होकर मर जाता है।
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