भजन संहिता 51:6,10
[6]देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
[10]हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
[14/02, 5:46 am] Devaa Simhadaati🙂😇: भजन संहिता 103:1
[1]हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
[14/02, 5:47 am] Devaa Simhadaati🙂😇: नीतिवचन 20:27,30
[27]मनुष्य की आत्मा यहोवा का दीपक है; वह मन की सब बातों की खोज करता है।
[30]चोट लगने से जो घाव होते हैं, वह बुराई दूर करते हैं; और मार खाने से हृदय निर्मल हो जाता है॥
[14/02, 5:48 am] Devaa Simhadaati🙂😇: 1 पतरस 3:4
[4]वरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्ज़ित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।