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#शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी क्यों करना चाहती थी अपने भाई से विवाह Shukracharya Daughter Devayani

अद्भुत Gyan Ganga 1,261,908 2 years ago
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#शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी क्यों करना चाहती थी अपने भाई से विवाह Shukracharya Daughter Devayani || अद्भुत Gyan Ganga Instagram Link: https://www.instagram.com/adbhut_gyan_ganga/ Instagram ID : adbhut_gyan_ganga DISCLAIMER : वीडियो में दी गई जानकारी न्यूज़ और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गई है। चैनल इसके सच या झूठ होने का दावा नहीं करता। वीडियो में इस्तेमाल की गई कुछ फुटेज और फोटोज उदाहरण के तौर पर दिखाई गई है। कृपया ध्यान दें कि हमारा उद्देश्य किसी विशेष व्यक्ति, संप्रदाय या धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है #adbhut #adbhutGanga #adbhutGangaGyan #adbhutGyan #adbhutGyanGanga #Ganga #Gangaadbhut #GangaadbhutGyan #GangaGyan #GangaGyanadbhut #Gyan #Gyanadbhut #GyanadbhutGanga #GyanGanga #GyanGangaadbhut #amrit #अद्भुत #अद्भुतगंगा #अद्भुतगंगाज्ञान #अद्भुतज्ञान #अद्भुतज्ञानगंगा #गंगा #गंगाअद्भुत #गंगाअद्भुतज्ञान #गंगाज्ञान #गंगाज्ञानअद्भुत #ज्ञान #ज्ञानअद्भुत #ज्ञानअद्भुतगंगा #ज्ञानगंगा #ज्ञानगंगाअद्भुत #अमृत #नल #दमयंती #Nal #damyanti प्राचीनकाल में, देवताओं, और राक्षसों के बीच कई युद्ध हुए। इन युद्धों में, कभी देवता जीत ते, और कभी, राक्षसों की जीत होती। लेकिन, एक समय ऐसा आया, कि राक्षसों की शक्ति, बहुत तेजी से बढ़ने लगी। इसका कारण था, मृत संजीवनी विद्या। राक्षसों की शक्ति, बहुत तेजी से बढ़ने लगी। इसका कारण था, मृत संजीवनी विद्या। राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य को, भगवान शिव के आशीर्वाद से, मृत संजीवनी विद्या का, ज्ञान मिल गया था। अब युद्ध में, जो राक्षस मर जाते,उनके गुरु शुक्राचार्य, उन्हें फिर से जीवित कर देते। देवताओं के लिए, ये बड़ी समस्या बन गयी। देवताओं के गुरु, गुरु बृहस्पति भी, इस विद्या से अनजान थे, अर्थात, वै भी, इस विद्या को नहीं जानते थे। बहुत सोच विचार करने के बाद, देव गुरु बृहस्पति को, एक उपाय सूझा। उन्होंने, अपने पुत्र कच को बुलाया, और उसे कहा, कि वो जाकर, गुरु शुक्राचार्य का, शिष्य बन जाए, और मृत संजीवनी विद्या, सीखने का प्रयास करे। दैत्य राज वृष पर्वा की पुत्री, राजकुमारी शर्मिष्ठा, और गुरु शुक्राचार्य की पुत्री, देवयानी, अपनी सखियों के साथ, अपने बाग़ में घूम रही थी। शर्मिष्ठा, अति सुन्दर राजपुत्री थी, तो देवयानी, असुरों के महा गुरु, शुक्राचार्य की पुत्री थी। दोनों, सुंदरता के मामले में, एक दूसरे से कम नहीं थी। वे सब की सब, उस बाग़ के एक जलाशय में, अपने वस्त्र उतार कर, स्नान करने लगीं। राजा वृषपर्वा, गुरु शुक्राचार्य का बहुत सम्मान करते थे, और उन्हें, मुख्य सलाहकार के रूप में, नियुक्त किये थे।

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