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श्री शक्तिपुत्र महाराज जी द्वारा निर्देशित-नित्य साधना क्रम #BMKS #Shri_Shaktiputra_Ji_Maharaj

BMKS-BSCP CG 548,569 3 years ago
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★★★★★ नित्य साधना क्रम ★★★★★★ सर्वप्रथम स्नान के उपरान्त स्वच्छ धुले कपडे़ धारण करके अपने पूजन स्थल में स्थापित शक्तियों को प्रणाम करते हुए आसन पर बैठें ! तथा माँ एवं गुरुवर जी तथा अन्य जो शक्तियाॅं आपने स्थापित कर रखी हों, उन सभी शक्तियों के चित्रों को साफ धुले हुए गीले कपडे़ से (स्नान कराने का भाव लेते हुए) पोंछकर साफ करें एवं लाल कुंकुम का तिलक लगायें तथा पुष्प समर्पित करके अगरबत्ती या धूप और दीप प्रज्जवलित करें । तत्पश्चात् नीचे दिये गये 1 से 6 तक के मंत्रों का तीन-तीन बार तथा 7वें एवं 8 वें क्रम के मंत्रों का पाँच-पाँच बार उच्चारण करें । 1- माँ 2- ऊँ 3- सोऽहं 4- ऊँ हं हनुमतये नमः 5- ऊँ भ्रं भैरवाय नमः 6- ऊँ गं गणपतये नमः 7- ऊँ शक्तिपुत्राय गुरुभ्यो नमः 8- ऊँ जगदम्बिके दुर्गायै नमः मंत्रोच्चारण क्रम पूर्ण करने के पश्चात् सर्वप्रथम श्री शक्तिपुत्र गुरु चालीसा पाठ करें। तत्पश्चात्, श्री दुर्गा चालीसा पाठ को पूर्ण करें । ★ श्री शक्तिपुत्र जी गुरु चालीसा पाठ ★ श्री दुर्गा चालीसा पाठ चालीसा पाठ क्रम को पूर्ण करने के पश्चात् निम्नलिखित श्लोकों का क्रमशः उच्चारण करें- श्लोक ऊँ गजाननं भूतगणाधिसेवितं, कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाश कारकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद्पंकजम् ।। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परब्र्रह्म, तस्मै श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नमः ।। या देवी सर्वभूतेषु, मातृरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः ।। उपर्युक्त श्लोकों के उच्चारण के पश्चात् दोनों हाथों से आरती थाल लेकर पूर्ण एकाग्रता से प्रत्येक पंक्ति पर ध्यान देते हुये श्री सद्गुरुदेव जी की आरती एवं माता भगवती जगत् जननी जगदम्बा जी की आरती, अपने आसन में ही बैठकर पूर्ण करें। ★आरती श्री सद्गुरुदेव जी की ★आरती श्री माता जी की आरती का क्रम पूर्ण होने के पश्चात् ज्योति (दीपक या आरती थाल) के चारों ओर जल छिड़ककर आचमन समर्पित करें । तत्पश्चात् दोनों हाथ जोड़कर समर्पण स्तुति के माध्यम से (इस समस्त पूजन क्रम में यदि कोई त्रुटि हो गई हो, तो यही भाव लेते हुए) माँ एवं गुरुवर की छवि के समक्ष निम्न श्लोक के माध्यम से क्षमायाचना करते हुए समर्पण स्तुति सम्पन्न करें- क्षमायाचना स्तुति – या देवी सर्वभूतेषु, क्षमारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः ।। ★समर्पण स्तुति समर्पण स्तुति पूर्ण करने के पश्चात्, निम्न जयघोष करें – परम पूज्य सद्गुरुदेव जी महाराज की-जय ! माता आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बे मातु की-जय ! पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम की-जय ! इसके उपरान्त, पाँच-पाँच बार ‘माँ ’ एवं ‘ऊँ’ का क्रमिक उच्चारण (अर्थात् एक बार ‘माँ ’एवं एक बार ऊँ’) का उच्चारण पूर्ण करें । ★ध्यान क्रम- उच्चारण पूर्ण करने के पश्चात्, दो मिनट के लिये अपने नेत्रों को बन्द कर दोनो भौहों के मध्य स्थिति आज्ञाचक्र पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते हैं । ध्यान क्रम के समय हमें माता भगवती की ममतामयी छवि या पूज्य सद्गुरुदेव जी की छवि को अपने अन्तःकरण में स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये या फिर पावन धाम ‘पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम’ का ध्यान किया जाना चाहिये। नोट- सामान्यतः ध्यान के क्रम के लिये प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम पाॅंच मिनट का समय देना हितकारी सिद्ध होगा। यह क्रम आरती समय से अलग भी कभी किसी अवस्था में बैठे हुए, लेटकर या रात्रि विश्राम में जाने से पूर्व किया जा सकता है। ध्यान क्रम पूर्ण करने के पश्चात्, पाॅंच-पाॅंच बार गुरुमंत्र ‘ऊँ शक्तिपुत्राय गुरुभ्यो नमः’ एवं माॅं के चेतना मंत्र ‘ऊँ जगदम्बिके दुर्गायै नमः’ का क्रमशः उच्चारण करें, जिससे सम्पूर्ण सम्पन्न किये गये इस क्रम की ऊर्जा को अपने अन्दर समाहित करने की और अधिक पात्रता प्राप्त कर सकें। तत्पश्चात् निम्न लिखित जयघोषों को पूर्ण करें – युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की माता भगवती आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बे मातु की पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम की हनुमत देव की-जय भैरव देव की-जय गणपति देव की-जय सच्चे दरबार की-जय धर्म की -जय हो ! अधर्म का - नाश हो! प्राणियों में -सदभावना हो! विश्व का -कल्याण हो! जन-जन में -माँ की चेतना हो ! भगवती मानव कल्याण संगठन -सत्यधर्म का रक्षक है! सच्चे दरबार की -जय ! नित्य साधना क्रम के अन्त में शान्ति पाठ करें – ऊँ शान्तिः शान्तिः शान्तिः । आरती क्रम को पूर्णता से सम्पन्न करने के पश्चात् मंच पर स्थापित समस्त शक्तियों को पूर्ण नमन भाव से प्रमाण करते हुए आरती प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण करते हैं । विशेष नोट – यह सम्पूर्ण नित्य साधनाक्रम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा निर्देशित है। पूर्ण नशामुक्त एवं मांसाहारमुक्त जीवन जीते हुए यदि यह क्रम श्री गुरुदेव जी तथा माता भगवती के चरणों में पूर्ण विश्वास एवं श्रद्धा भाव रखकर नित्यप्रति सम्पन्न किया जाये एवं अपने जीवन की विषमताओं एवं न्यूनताओं को दूर करने का सतत प्रयास किया जाये, तो सर्वथा हितकारी एवं पूर्ण लाभप्रद सिद्ध होगा तथा किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में पूर्ण सहायक होगा। यदि किसी के पास बहुत अधिक समय का अभाव हो, तो पूज्य सद्गुरुदेव जी का गुरु मंत्र ‘ ऊँ शक्तिपुत्राय गुरुभ्यो नमः’ एवं माँ के विशिष्ट चेतना मंत्र ‘ ऊँ जगदम्बिके दुर्गायै नमः’ का किसी भी समय एवं किसी भी अवस्था में जाप करते रहना चाहिए। संपर्क भगवती मानव कल्याण संगठन पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पो.-मऊ, तह.- ब्यौहारी, जिला-शहडोल (म.प्र.)

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