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गीत-प्रो0 राकेश वर्मा 8299474106
स्वर -मनोरमा पासी" मनु"
- जितेंद्र लाल सरोज
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1-पासी वीरों बढ़ो dj रीमिक्स के लिए नीचे की लिंक क्लिक करें
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2-साथ दे दो अगर पासी वीरों हमें
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3-पासी भाई सुनो क्यों हुआ है पतन
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4-सुहेलदेव के वंशज हैं पासी कहलाते है
https://youtu.be/favc1hPChb4
5-जागो नागवंशी पासियों वरना इतिहास मिट जायेग
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5 -पासी कुल फिर से दुनियॉ में छा जाएगा
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6- तू जाग जा रे पासी
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7-तू जाग जा रे पासी dj रीमिक्स
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8-देखिए पासी शूरवीरों की जबरदस्त दहाड़
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9-किसानों के जवान मदारी पासी थे महान
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10- देखिए कैसे हो रही है बहुजन एकता के नाम पर पासी समाज के साथ सडयंत्र
https://youtu.be/N9lovrTGT1M
11-देखिए पासी शूरवेरों की दहाड़
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12- एक बार फिर गुंजा जय पासी का नारा पूरे ब्रम्हांड में
https://youtu.be/E7saxhUPA1w
Khairabad History- नाम कैसे पड़ा....? ✅
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ब्रिटिश विद्वान् ,Eliot, Chronicles unno.24
इलियट साहब पासियो के बारे में कहते है -
अवध के बड़े भू भाग सहित बड़े हिस्सों पर 8वीं से 12 वि सदी तक पासी जाति ने शासन चलाया, साथ ही इलियट साब पासी जाति के अन्तिम शासक के रुप में राजा सातन पासी को मानते हैं वे कहते है -
" अवध के दौरान पासियों की परंपरा है कि वे देश के स्वामी थे और उनके राजाओं ने खीरी जिलों में संडीला, धौरहरा, मितौली और रामकोट में शासन किया था। हरदोई और उन्नाव रामकोट, जहां उन्नाव में बांगरमऊ शहर अब खड़ा है, उनके प्रमुख गढ़ों में से एक माना जाता है। रामकोट के अंतिम राजाओं, राजा सातन पासी ने कन्नौज के प्रति अपनी निष्ठा को त्याग दिया और कर देने से इंकार कर दिया। इस पर राजा जयचंद ने गाँजर देश को विजित करने के लिए बाणाफर नायकों, आल्हा और उदल को दे दिया और उन्होंने रामकोट पर हमला किया और नष्ट कर दिया, इसे खंडहरों का आकारहीन द्रव्यमान छोड़ दिया जो अब हम पाते हैं। इसी तरह की परंपराएं अवध के अन्य हिस्सों में प्रचलित हैं। "
ब्रिटिश विद्वानो को 1862 से 1880 तक पासियों के बारे बहुत कुछ जानकारी हासिल की और उसे किताबो में संकलन किया ।
राजपूतो और मुसलमानी आक्रमण से उनके राज्य धराशाई हुए विजेताओं ने हमेशा के तरह उनके किलो को जमींदोज कर दिया करते थे ,और उनका साफ कहना है पासी राज के साक्ष्य अब ना के बराबर मिलते है लेकीन अवध की परंपरा में पासी राज होने के प्रमाण मिल जाते है जैसे स्थानीय परंपरा में कई पासी राजाओं के नाम से बड़े कस्बों और नगरों के नाम हुवा करते थे और स्थानीय लोग उसे पासी राजाओं से जोड़ते थे की वह उनका था बाद अकर्मणकारियो द्वारा कब्जा किया गया .....
उसी क्रम में मुझे ब्रिटिश कालीन दस्तावेजों का अध्यन करते करते उनके ही नक्शे में एक पासी राजा का नाम मिला जो जिसके नाम से एक शहर का नाम पड़ा है आप नीचे संलग्न फ़ोटो में देख सकते है
Kahirabad divison Sitapur ......
खैराबाद सितापुर जिले में पड़ता है खैराबाद का नाम 11 वीं शती के राजा खैरा पासी के नाम से खैराबाद नाम पड़ा था, राजा खैरा पासी के बारे में बहुत कम स्रोत है जानने के लिए क्योंकि 600 साल तक पासी जाति का इतिहास लिपिबद्ध नही किया गया .... यदि किया भी गया होगा उस जमाने में, कुछ लेख या कुछ ऐसे साहित्य जिनके मदद से हम उस समय के बारे में जान पाए .. मुश्किल यह की हम अभी तक वैसे साक्ष्यों तक नहीं पहुंच सके है ,
क्योंकि खीरी पासियों की राजधानी रही है तो यह प्रश्न भी वाजिब है की जब राजा थे उनका राजदरबार था उनके दरबार में लेखा जोखा भी होता रहा होगा और उनके प्रशासनिक वयवस्था भी कही ना कही लिखित रूप से चलती रही होगी बस हमे उस साक्ष्यो तक पहुंचना है
और अभी हम इतिहास में जानते ही क्या हैं अभी तो पासी इतिहास से संबंधित सिर्फ़ 1% इतिहास ही जान पाए हैं अभी तक 99% इतिहास की खोज की जानी बाकी है
मैने ब्रिरिश रिकॉर्ड के कुछ अंश सामने रखे है जिसको आप फ़ोटो में देख सकते हैं
" खैराबाद परगना वास्तविक रूप से पासियो द्वारा आयोजित किया गया था जिसे बाद में बैंस, कायस्थों द्वारा बाहर किया गया , लेकिन उनके वंशज आज भी कई गांवों पर काबिज़ है "
1868- 1890 के बीच हुए फिल्ड सर्वे शोध के बाद ब्रिटिश दस्तावेजों में छपी लाइनें आपके समक्ष प्रस्तुत है ।