क्रूस न केवल परमेश्वर के प्रेम का प्रमाण हैं, परन्तु परमेश्वर की पवित्रता का सिद्ध प्रकटीकरण भी है। जब परमेश्वर का प्रिय पुत्र हमारी समस्त अशुद्धता, अनैतिकता, अधर्मों, अन्यायों और असत्यों के बोझ को स्वयं पर उठाए क्रूस की मृत्यु को सह रहा था, तब उसके पवित्र पिता ने अपनी पवित्रता से तनिक भी समझौता नहीं किया और अपने प्रिय पुत्र को दोषियों के समान दण्डित किया…सिद्ध मसीह के पवित्र रक्त के द्वारा पवित्र पिता हमें शुद्ध करता, अपना पवित्र आत्मा देकर हमें प्रतिदिन पवित्रता में उन्नत बनाता, अपने पवित्र वचन के द्वारा अपनी पवित्र इच्छा को हम पर प्रगट करता और अपने पवित्र लोगों के द्वारा हमें पवित्रता का जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।