दिव्य चमत्कारी गुप्त मन्त्र
ॐ गुरु जी
गोरख जती मछेन्द्र का चेला
शिव के रूप में दिखे अलबेला
कानों कुंडल गले में नादी
हाथ त्रिशूल नाथ है आदि
अलख पुरुष को करूँ आदेश
जन्म जन्म के काटो कलेश
भगवा वेश हाथ में खप्पर
भैरव शिव का चेला
जहाँ जहाँ जाऊं नगर डगर
लगे वहां फिर मेला
शिव का धुना गोरख तापे
काल कंटक थर थर कांपे
मेरी रक्षा करे नव नाथ
राम दूत हनुमन्त
रिद्धि सिद्धि आंगन विराजे
माई अन्नपूर्णा सुखवंत
शब्द सांचा पिंड कंचा चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा
यह मन्त्र सरल साबर मन्त्र है गोरख जाती का दिव्य साबर मन्त्र है परम दुर्लभ था अभी तक कभी प्रकट नहीं किया गया था गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा पर पर आज से पहले गुप्त ही था कभी पुस्तकों में प्रकाशित नहीं हुआ आज तक !!