अधिकतर भारतीय साधकों से जब यह पूँछा जाता है कि उनका आध्यात्मिक और सांसारिक ध्येय क्या है तो वे बता नहीं पाते। भविष्य का एक ध्येय होना अति आवश्यक है, यह हमको जापान के लोगों से सीखना चाहिए। हीरोशिमा-नागासाकी काण्ड के बाद जापान देश पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। ऐसे कठिन समय में भी उन्होंने अपनी उन्नत सोच से बहुत कम समय में फिर सेअपने देश को दूसरे देशों से भी अधिक विकसित बना दिया। वे ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि उनको अपना उद्देश्य स्पष्ट था। उन्होंने कल्पना की, कि 5 साल बाद वो अपने देश को कैसा देखना चाहते हैं और उसपर एकाग्रता से कड़ी मेहनत की। संसार हो या आध्यात्मिकता, जिस व्यक्ति ने कोई ध्येय नहीं बनाया उसको सफलता की अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए।
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